अंधेपन को नहीं बनने दिया कमजोरी, किया टॉप, जानें मोहित के संघर्ष की कहानी

शरीर में चाहे कमी कुछ भी हो लेकिन अगर हौसले बुलंद है तो मंजिल दूर नहीं है, ऐसा ही करके दिखाया है सीकर के पिपराली रोड के रहने वाले 16 साल के मोहित शर्मा ने. हाल में जारी हुए माध्यमिक बोर्ड के 12 कला के परिणाम में मोहित ने 96.80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए.

Sikar: शरीर में चाहे कमी कुछ भी हो लेकिन अगर हौसले बुलंद है तो मंजिल दूर नहीं है, ऐसा ही करके दिखाया है सीकर के पिपराली रोड के रहने वाले 16 साल के मोहित शर्मा ने. हाल में जारी हुए माध्यमिक बोर्ड के 12 कला के परिणाम में मोहित ने 96.80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. बचपन से ही मोहित इस दुनिया को देख नहीं सकते लेकिन उन्होंने फिर भी कभी इसे अपनी कमजोरी नहीं माना. अब वह टीचर बनकर लोगों का मार्गदर्शन करना चाहते है.

मोहित पढाई के साथ-साथ संगीत में भी काफी दिलचस्पी रखते है. जयपुर के सवाई मानसिंह संगीत महाविद्यालय से वह संगीत भी सीख रहे है. इसके साथ ही वह धुन बजाकर शानदार तरीके से गीत भी गाते है. मोहित संगीत के साथ रोशनी नहीं होने के बावजूद साइकिल भी चला लेते है और साइकिल से अपना सारा काम भी कर लेते है. जब घर में लडके की किलकारी गूंजती है तो घर के सदस्यों की खुशी का ठिकाना नहीं होता लेकिन मोहित ने जब जन्म लिया उस समय उसके माता-पिता के चेहरे पर अपने बच्चे के भविष्य के लिए चिंता की लकीरे खींच गई.

दरअसल मोहित शर्मा बचपन से ही देख नहीं सकते है. पैदा होते ही उनके आंखो के अंधेरे रहा जो बदस्तूर आज भी जारी है. मोहित के पिता राकेश शर्मा बताते है कि उनके बच्चे के अंधेपन को दूर करने के लिए उन्होंने कई डॉक्टरों के चक्कर काटे, जहां पर उन्हें थोडा सा आश्वासन मिला वहां के लगातार चक्कर लगाए लेकिन बच्चे का अंधापन दूर नहीं हुआ, जिसके बाद माता-पिता और दादा की भी आस टूट गई लेकिन मोहित के जज्बे को देखकर उन्होंने कभी भी उसको अंधेपन का अहसास नहीं होने दिया. मोहित शर्मा ने हाल में जारी हुए 12 के परिणाम में एक बार फिर अपने जज्बे को दिखाया.

मोहित ने 12 में ब्रेललिपी के जरिए 96.80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. अच्छे प्रतिशत लाने पर उनके परिवार के सदस्यों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वहीं आसपास के लोग उनके पिता राकेश शर्मा को लगातार फोन कर बधाई दे रहे है. मोहित बचपन से ही काफी होशियार है. मोहित ने दसवी में भी अच्छी पढाई कर 81 प्रतिशत अंक प्राप्त किये, इसके बाद उनका यह सिलसिला लगातार जारी है. मोहित अपनी पढाई का श्रेय परिवार को बताते है. उनका कहना है कि रोशनी नहीं होने के बाद भी उनके माता-पिता और भाई-बहन ने उनको पूरा सपोर्ट किया. हमेशा उनका मनोबल बढाते गए और मोहित दिन में 6 से 7 घंटे लगातार पढाई कर रहे थे.

कभी भी उन्होंने हार नहीं मानी और उसी का नतीजा है कि उन्होंने 12वीं कक्षा में शानदार अंक हासिल किए है. मोहित का कहना है कि जीवन में चाहे कुछ भी कमी हो लेकिन किसी को भी हार नहीं माननी चाहिए. क्यों कि जो हार मान लेते है वह कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते. मोहित ने कहा कि वह अध्यापक बनना चाहते है. क्योंकि अध्यापक ही वो शख्स होता है जो दूसरों का मार्गदर्शन करता है और वो भी सभी का मार्गदर्शन करना चाहते है.

मोहित पढाई के साथ-साथ संगीत में भी काफी दिलचस्पी रखते है. जयपुर के सवाई मानसिंह संगीत महाविद्यालय से वह संगीत भी सीख रहे है. इसके साथ ही वह धुन बजाकर शानदार तरीके से गीत भी गाते है. उन्होंने बताया कि उन्हें मोहम्मद रफी, अरीजीत सिंह और गजल गायल जगजीत सिंह के गजले सुनना काफी पसंद है. मोहित शर्मा राज्य और जिला स्तरीय पर भी कई बार सम्मानित हो चुके है. 19 अगस्त 2017 को बिडला ऑडिटोरियम में हीरो मोटर कॉर्प कंपनी द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय नये हीरो की खोज में 24 हिरोज में स्थान पाया.

जिला स्तर की संगीत प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया. स्काउट गाइड के कैंपो में बच्चों को हारमोनियम भी सीखाते है. 3 दिसंबर 2017 को ओटीएस में राज्य स्तरीय विशेष योग्यजन पुरस्कार भी मिला. 26 जनवरी 2018 को जिला स्तर पर जिला कलेक्टर द्वारा सम्मानित किया गया. दिव्यांगों में मतदान जागरुकता के लिए 22 अप्रैल 2018 को चुनाव आयोग द्वारा सुलभ चुनाव ब्रांड एंबेसडर मोहित को बनाया.

योग दिवस 2018 को योग को बढावा देने के लिए योग समिति से भी सम्मानित हो चुके है. मोहित ने बताया कि उसकी बडी बहन शालिनी लगातार उसका मनोबल बढाती रहती है, जब भी पढाई में कोई दिक्कत आई तो उसने भाई का सपोर्ट किया. मोहित पढाई के साथ अपने सारे काम खुद ही करते है. मोहित संगीत के साथ रोशनी नहीं होने के बावजूद साइकिल भी चला लेते है और साइकिल से अपना सारा काम भी कर लेते है. उनके पिता राकेश शर्मा की कलेक्ट्रेट के सामने ही इलेक्ट्रोनिक की दुकान है और उनके पिता बताते है कि बचपन में सिर में ऑप्टिकल नरव बंद होने के कारण उसकी आंख की रोशनी वापस नहीं आई लेकिन अब उनका सपना है कि उनका बेटा टीचर बने और बच्चों को आगे बढाने का काम करे.