आखिर क्यों मच्छर आपको अंधेरे में भी ढूंढ लेता है? आइए बताते है इसकी वजह
क्या आप जानते है कि आपके आस-पास मंडराने वाले सारे मच्छर आपका खून नहीं पीते. बल्कि केवल फीमेल मच्छर ही ऐसा करती हैं. इससे वो अपने अंडे को विकसित और पोषित करती हैं.
हर घर में मच्छरों के आंतक से हर कोई परेशान है. मच्छरों के आंतक से बचने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं. इसके बावजूद उनका उत्पात कभी खत्म नहीं होता. मच्छरों के चक्कर में कई दफे खुद को भी चमाट पड़ जाती है. रात में तो इनका उत्पात चरम पर होता है. आपके इर्द-गिर्द घूमकर राग अलापते हैं. ऐसे में आपकी नींद भी नहीं पूरी हो पाती. शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां मच्छरों से बचने के लिए लोग रात को कॉइल, लिक्विड, अगरबत्ती का इस्तेमाल ना करते हों. इसके बाद भी इन मच्छरों पर कोई असर नहीं होता और ये रातभर आपका खून चूसते हैं.
क्या आपने कभी सोचा है कि ये रात के अंधेरे में भी आपतक कैसे पहुंच जाते हैं. भले ही आपके कमरे में कितना ही अंधेरा क्यों ना हो. अगर नहीं, तो कोई बात नहीं. आज हम इस आर्टिकल में आपको यही बताने जा रहे हैं कि अंधेरे में भी मच्छर आपको ढूंढते कैसे हैं. असल बात तो ये है कि मच्छर हमें काटते नहीं हैं, बल्कि हमारा खून चूसते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके आस-पास मंडराने वाले सारे मच्छर आपका खून नहीं पीते. बल्कि केवल फीमेल मच्छर ही ऐसा करती हैं. इससे वो अपने अंडे को विकसित और पोषित करती हैं. दरअसल, अंडे के लिए जो पोषक तत्व चाहिए होते हैं, वो उन्हें इंसान के खून में मिलते हैं. इसलिए वो अपनी सूंड जैसी ट्यूब को गड़ाकर हमारा खून चूसती हैं. इसके पीछे की वजह है हमारी सांसे. अब आप सोच रहे होंगे वो कैसे?.
दरअसल, जब इंसान सांस छोड़ते हैं तो उसमें से कार्बन डाई ऑक्साइड गैस (CO2) निकलती है. इसकी गंध ही मच्छरों को आपतक खींच कर ले आती है. फीमेल मच्छर के ‘सेंसिंग ऑर्गेन्स’ काफी अच्छे होते हैं. इसके जरिए कोई भी मादा मच्छर 30 फीट से ज्यादा दूरी से भी कार्बन डाईऑक्साइड की गंध को पहचान लेती है. इसी गैस के सहारे ही अंधेरे में भी ये आपतक पहुंच जाते हैं. आपके शरीर से खून चूसकर अपने अंडे को पोषित करते हैं. CO2 के अलावा, मच्छर इंसानों तक पहुंचने के लिए शरीर की गर्मी, गंध और पसीने जैसे अन्य संकेतों का भी इस्तेमाल करते हैं.