आखिर राजमाता गायत्री देवी ने क्यों छोड़ी थी राजनीति, जानें इंदिरा गांधी से मनमुटाव की वजह?
महारानी गायत्री देवी का जन्म एक राजशाही परिवार में हुआ था. राजशाही परिवार में जन्मी राजकुमारी गायत्री देवी ने शादी के बाद अपने राज्य को संभाला और राजनीति में आने के बाद देश को संभाला.
भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में जहां महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं और अपनी काबिलियत के दम देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाती हैं. भारतीय महिला खेल, बिजनेस से लेकर राजनीति में अपनी एक अलग छाप छोड़ रही हैं, लेकिन आज समाज में जो स्थान महिलाओं का है, उसके लिए इतिहास में कुछ महिलाओं ने बहुत संघर्ष किया. उन्हीं महिलाओं में एक नाम महारानी गायत्री देवी का है.
महारानी गायत्री देवी का जन्म एक राजशाही परिवार में हुआ था. राजशाही परिवार में जन्मी राजकुमारी गायत्री देवी ने शादी के बाद अपने राज्य को संभाला और राजनीति में आने के बाद देश को संभाला. गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को लंदन हुआ था और वह जयपुर के एक राजघराने से संबंध रखती थी. गायत्री के पिता का नाम राजकुमार जितेंद्र नारयाण था और माता का नाम इंदिरा राजे था, जो बड़ौद के महाराज सयाजीराव की बेटी थीं, जब गायत्री छोटी थी, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. उसके बाद गायत्री की माता ने राजघराने की बागडोर संभाली थी.
राजनेत्री, समाज सेवी और जयपुर राजघराने की राजमाता गायत्री देवी दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं की लिस्ट में शामिल थी. गायत्री देवी की शादी महाराज मान सिंह द्वितीय की तिसरी से हुई थी. राजशाही परिवार में पैदा हुई गायत्री देवी आलीशान महल में पली-बढ़ी थी.
गायत्री को उनके दोस्त और परिवार के लोग आयशा के बुलाते थे. महारानी गायत्री देवी ने अपनी शुरुआत की पढ़ाई शांतिनिकेतन से पूरी की और फिर बाद में उन्होंने वह लंदन के ग्लेन डोवेर प्रिपरेटरी स्कूल, विश्व-भारती यूनिवर्सिटी, लॉसेन और स्विट्जरलैंड से अपनी शिक्षा हासिल की. गायत्री देवी को पोलो खेलने का शौक था और वह एक अच्छी खिलाड़ी थी. इसके साथ ही उन्हें कारों और शिकार करने का भी शौक था. गायत्री ने महज 12 साल की उम्र में चीते का शिकार किया था.
गायत्री की महाराज मान सिंह से पहली मुलाकात पोलो के मैदान में हुई थी. प्यार और शादी के मामले में गायत्री देवी अपनी माता इंदिरा की तरह थी. गायत्री को महज 12 साल की उम्र में महाराज मान सिंह प्यार हो गया था. महाराज मान सिंह पहले से शादीशुदा थे और उसकी दो शादियां हो चुकी थी, वहीं, मानसिंह गायत्री से तीसरी शादी करने के लिए तैयारी हो गई. महाराजा मानसिंह गायत्री से 9 साल बड़े थे. इसी के चलते गायत्री ने 21 साल की उम्र में 9 मई, 1940 में समाज के खिलाफ जाकर मानसिंह से शादी की. वहीं, शादी के 9 साल बाद 1949 में 15 अक्टूबर को गायत्री ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम जगत सिंह रखा गया था.
राजमाता गायत्री को बेल बॉटम और फ्रेंच शिफॉन की साड़ी को अलग अंदाज में पहनने का फैशन ट्रेन्ड में लाने का श्रेय दिया जाता है. महारानी गायत्री बेहद ही महंगे रॉयल शौक रखती थी. शादी के बाद राजकुमारी गायत्री देवी जयपुर की रानी बन गई थी. उसके बाद साल 1962 में महारानी गायत्री देवी ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और 1 लाख 92 हजार वोटों से जीत हासिल की.
गायत्री देवी के राजनीतिक करियर में एक बार संसद में जवाहर लाल नेहरू से उनकी बहस हो गई थी. जवाहर लाल नेहरू और राजमाता गायत्री के बीच राजनीतिक विवाद थी, लेकिन इंदिरा गांधी के राजनीति में आने के बाद यह विरोध निजी बन गया. जानकारी के अनुसार, इंदिरा गांधी और गायत्री देवी दोनों एक दूसरे को बचपन से जानती थीं, दोनों ने गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के बनाएं गए शांतिनिकेतन स्कूल में साथ में पढ़ाई की थी. एक बार इंदिरा गांधी ने राजमाता गायत्री देवी को संसद में कांच की गुड़िया कहकर पुकारा था. इंदिरा और गायत्री दूसरे के प्रतिद्वंदी थे. साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया गया, तब उन्होंने गायत्री देवी को भी जेल में बंद कर दिया गया था और वह करीब 5 महीनों तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रही थीं.
राजमाता गायत्री के पति महाराजा मान सिंह की मृत्यु 29 जून, 1970 को 57 साल की उम्र हो गई थी. इसके बाद 5 फरवरी साल 1997 में गायत्री देवी के इकलौते बेटी की लंदन में मौत हो गई. इसके बाद गायत्री की जिंदगी के बुरे दौर की शुरुआत हो गई. वह अकेली हो गई और वह दुखी रहने लगी. इसी के चलते साल 2009 में 29 जुलाई को किडनी खराब होने से गायत्री देवी का देहांत हो गया.