“कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान” के तहत प्रगति सिंथेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, सूरत  द्वारा वर्षा जल संचयन का निर्माण

राम मोहन अग्रवाल एवं रामरतन बेड़िया की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल संरक्षण के आह्वान पर पूरे देश में चल रही मुहिम को एक नई गति देते हुए, “कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान” के अंतर्गत सीकर जिले के फागलवा गांव के निवासी व सूरत प्रवासी भामाशाह राम मोहन अग्रवाल एवं लक्ष्मणगढ़ निवासी व सूरत प्रवासी रामरतन बेड़िया द्वारा प्रगति सिंथेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, सूरत  के माध्यम से सीकर जिले की धोद एवं लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के 10 से अधिक गावों में वर्षा जल संचयन निर्माण करवाया गया है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तथा केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल पहले ही देशभर के प्रवासी राजस्थानियों, स्वयंसेवी संस्थाओं और संगठनों से अपनी जन्मभूमि पर जल संरक्षण के लिए आगे आने की अपील कर चुके हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जल को बनाया नहीं जा सकता, केवल बचाया जा सकता है। इसी विचारधारा को केंद्र में रखते हुए यह अभियान गांव-गांव में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने पर केंद्रित है, जिससे भूमिगत जल स्तर में सुधार होगा और खेती तथा पीने योग्य जल की समस्या का स्थायी समाधान मिलेगा।

सी.ए. सुनील मोर ने जानकारी दी कि अभियान के तहत सीकर जिले की धोद एवं लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के 10 से अधिक गावों में  रिचार्ज बोरवेल का निर्माण कार्य करवाया गया है, जिसके माध्यम से वर्षा जल को सीधे भूमि में समाहित किया जाएगा। यह पहल न केवल वर्तमान की जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचाने का भी एक ठोस प्रयास है। यह केवल एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता की एक मजबूत शुरुआत है जिसमें हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। इस अभियान में जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा व संपूर्ण जिला प्रशासन तथा भूजल विभाग की टीम सहित ग्राम पंचायत के सरपंच, ग्राम सेवक व ग्रामीणों द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है।

इस अभियान की विशेष बात यह है कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की प्रेरणा एवं सूरत के प्रवासी भामाशाहों की सहभागिता से जन-जन का जुड़ाव सुनिश्चित किया जा रहा है। इससे पूर्व भी सीकर जिले के कई गांवों में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण रूपा फाउंडेशन एवं सीकर नागरिक परिषद सूरत के माध्यम से हो चुका है। इन संरचनाओं ने हाल ही में हुई बारिशों में उपयोगी जल को संरक्षित कर ग्रामीणों को इसका तात्कालिक लाभ पहुंचाया है।

अभियान से जुड़े समाजसेवी राम मोहन अग्रवाल एवं रामरतन बेड़िया ने कहा कि प्रवासियों का अपने गांव की मिट्टी से जुड़ाव आज भी उतना ही मजबूत है, और इस अभियान ने उन्हें एक सशक्त माध्यम दिया है अपनी मातृभूमि को जल संकट से उबारने के लिए। भविष्य में इस अभियान के अंतर्गत और भी गांवों को शामिल करते हुए, राजस्थान को जल संरक्षण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया गया है।

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