अक्षय तृतीया का शुभ पर्व आज शाम 5:32 बजे से आरंभ होगा और कल, 30 अप्रैल को दोपहर 2:15 बजे तक रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, चूंकि तृतीया तिथि कल सूर्योदय के समय विद्यमान रहेगी, इसलिए पर्व का मुख्य आयोजन 30 अप्रैल को किया जाना शास्त्र सम्मत है। यह तिथि वैशाख शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि है, जिसे अक्षय तृतीया कहते हैं — अर्थात् ऐसा दिन, जिसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता।
इस अवसर पर किया गया कोई भी धार्मिक कार्य — जैसे दान, पूजा, हवन — अथाह फल देने वाला होता है। विवाह, खरीदारी, और नई शुरुआतों के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. नरेश जोशी के अनुसार, इसी दिन त्रेतायुग का आरंभ हुआ था, इसलिए इसे युग की शुरुआत का दिन भी कहा जाता है।
इस वर्ष का योग विशेष इसलिए है क्योंकि यह 17 साल बाद फिर से बुधवार और रोहिणी नक्षत्र के साथ पड़ रहा है। इससे पहले ऐसा योग 2008 में बना था, और अगली बार यह संयोग 2052 में दोहराया जाएगा। इस बार कुल 10 शुभ योग — जैसे सर्वार्थसिद्धि, रवियोग, और सात प्रकार के राजयोग — एक साथ बन रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दिन की गई संपत्ति खरीद, निवेश और नए कार्य लंबे समय तक सकारात्मक परिणाम देंगे। खासकर सोना और चांदी की खरीद इस दिन विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि इन्हें देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।
पुराणों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन उत्तर दिशा से खरीदा गया सोना आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने वाला होता है। इस दिन की गई शुरुआत जीवन में स्थायित्व और समृद्धि का संकेत मानी जाती है।