कासावती नदी के बहाव क्षेत्र में लगातार हो रहे खनन को रोकने में खनन विभाग असमर्थ है, क्योंकि यहां का क्रेशर और माइनिंग जोन खातेदारी भूमि में स्थित हैं। विभाग के अनुसार, खातेदारी भूमि में खनन किया जा सकता है, इसलिए उन्हें इस पर कार्रवाई करने की अनुमति नहीं है। दूसरी ओर, जीर की घाटी क्षेत्र में रेवन्यू विभाग की रिपोर्ट के बाद खनन की अनुमति दी गई थी, जिससे यहां भी कार्रवाई करना मुश्किल हो रहा है। कासावती नदी के बहाव क्षेत्र में हो रहे खनन से नदी के कैचमेंट एरिया में कचरे का ढेर लग गया है, जिससे नदी का प्रवाह प्रभावित हो रहा है। यह मामला 2009 से एनजीटी में चल रहा है।
खनन विशेषज्ञों के अनुसार, नदियों के बहाव क्षेत्र में खनन और निर्माण की अनुमति नहीं है, लेकिन जिले की कई नदियों के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण हो चुका है। कांतली नदी का भी अतिक्रमण कर खोदाई की गई, जिससे जल स्तर पर प्रतिकूल असर पड़ा है और पर्यावरण प्रदूषण फैलने से लोग बीमार हो रहे हैं। सिंचाई विभाग ने भी इस बात को माना कि कासावती नदी का प्रवाह कुछ स्थानों पर अवसादी जमाव के कारण बाधित हो रहा है। 27 जनवरी को एनजीटी में इस मामले पर सुनवाई हुई और आगामी सुनवाई 5 मई 2025 को निर्धारित की गई है।