किसान जागरूकता दिवस के रूप में मनाई किसान मसीहा चौधरी कुम्भाराम आर्य की 29 वीं पुण्यतिथि…

यमुना जल एमओयू और एमएसपी गारण्टी कानून बनवाने के मुद्दों पर जिले के गांव ढ़ाणियों में किया जाएगा संघर्ष समितियों का गठन

सीकर के पूर्व सांसद किसान मसीहा चौधरी कुम्भाराम आर्य की 29 वीं पुण्यतिथि सीकर जिला मुख्यालय पर गोपाल सदन में किसान जागरूकता दिवस के रूप में चौधरी चरण सिंह ग्रामीण विकास संस्थान, सीकर संभाग स्तरीय नहर लाओ संघर्ष समिति और चौधरी चरण सिंह विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में श्रद्धा व सादगी पूर्वक मनाई गई | आर्य के चित्र पर फूलों की मालाएं पहनाकर पुष्पांजलि अर्पित की गई |

इस अवसर पर सीकर संभाग में पेयजल व कृषि सिंचाई के लिए यमुना जल एमओयू को लागू करवाने तथा कृषि फसलों की खरीद के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनवाने के मुद्दों को लेकर जिले के गांवों-ढ़ाणियों में संघर्ष समितियों का गठन करने, ग्राम चौपालें आयोजित कर उक्त मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और 10 मई 2025 को जिले में ग्राम हड़ताल रखने का निर्णय हाथ उठाकर सर्वसम्मति से किया गया |

मुख्य वक्ता किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आर्थिक समानता व समृद्धि के लिए सरकारों को चंदादाताओं (कॉर्पोरेट) की बजाय मतदाताओं (किसान, मजदूर व आमआदमी) के कल्याण पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए | जाट ने आह्वान किया कि व्यवस्था परिवर्तन व राजनीति को किसान और ग्राम केंद्रित बनाने के लिए जन जागरूकता व आन्दोलन की जरूरत है |

विचार गोष्ठी में आर्य को श्रद्धा से याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चौधरी कुम्भाराम आर्य वर्गचेतना के प्रवर्तक, दूरदृष्टा, कुशल रणनीतिकार और प्रशासक थे | उन्होंने आजादी आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी छोड़कर गांव-गांव जाकर किसानों, ग्रामीणों में वर्गचेतना जगाई और लोगों को उनके हकों के लिए प्रेरित करते हुए हर वर्ग को संघर्षशील बनाया और एकजुट किया | मोहन राम सुण्डा ने कहा कि चौधरी कुम्भाराम आर्य कहा करते थे कि जब राज-सत्ता निरंकुश और शोषणकारी हो जाए तब वर्ग-चेतना ही उससे बचाव का एक मात्र रास्ता होता है | भँवर लाल बिजारनियाँ ने उनके किसान यूनियन और मुखपत्र किसान में उनके साथ काम करने का जिक्र करते हुए हथेली पर लिखे हुक्मों का जिक्र करते हुए उनकी कार्यशैली की विवेचना की। पूर्व उप-प्रधान चोखाराम बुरड़क, शिवदयाल सिंह मील, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़, दयाराम महरिया और भोलाराम रुलानियां ने नहर परियोजना पर विस्तार से बताया और भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर सेवार्थी ने भावुक अन्दाज में उनके कार्यों को विस्तार से बताया । महावीर पुरोहित, भींवा राम चौधरी, अनुष्का आर्य, डॉ. वन्दना सहरावत और रामचन्द्र सून्डा ने भी उनकी वर्ग चेतना के बारे में बताया। वक्ताओं ने विचार गोष्ठी में कहा कि आर्य ने “जमीन कीं की, बावै बीं की” यह सिद्धांत दिया था और आजादी के तुरन्त बाद राजस्थान में भूमि सीलिंग एक्ट बनाकर लागू किया और जागीरी समाप्त कर किसानों को भूमि के खातेदारी अधिकार दिलवाना उनका क्रांतिकारी और एेतिहासिक फैसला था | लेकिन आज किसानों की जमीनों पर कॉर्पोरेट कम्पनियों की नजर है | इससे बचने के लिए किसानों को चौधरी कुम्भाराम आर्य के ध्येय वाक्य “राम भक्ति से प्रसन्न होता है, और राज शक्ति के आगे झुकता है” के आधार पर वर्ग चेतना लाकर वर्ग एकता कायम करनी होगी |

वक्ताओं ने कहा कि चौधरी कुम्भाराम एक दबंग व निडर नेता थे जिन्होंने गरीबों, किसानों व ग्रामीणों के लिए संघर्ष कर उनको अधिकार दिलवाये थे | इसीलिए किसान उन्हें अपना मसीहा कहते और मानते हैं | क्योंकि चौधरी कुम्भाराम आर्य के पास जब कोई भी निराश व हताश व्यक्ति अपनी पीड़ा व तकलीफ लेकर जाता था तब वे आगंतुक की बात बड़ी तसल्ली से सुनते थे और उसका तुरन्त समाधान करते थे | यदि जन हित में कोई कानून या सरकारी आदेश बाधा या अड़चन बनता था तो वे उस कानून पर लाल स्याही फेरकर सचिवों व अधिकारियों को राहत देने वाले नोट बनाकर लाने को कहते थे और विधानसभा से कानून बनवाकर जनता को राहत देते थे
वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान दौर में राजनेताओं को चौधरी कुम्भाराम आर्य के सिद्धांतों, जीवन संघर्ष, विचारों और किसान व ग्रामीण हित के कार्यों के बारे में अध्ययन करना चाहिए और उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता व कार्यों से प्रेरणा लेकर कार्य करते हुए जनता को राहत पहुंचानी चाहिए |

चौधरी चरण सिंह ग्रामीण विकास संस्थान के अध्यक्ष व चौधरी के अनुयायी चाचा पूर्णमल सुण्डा ने चौधरी कुम्भाराम आर्य के अनेक संस्मरण सुनाए तथा आभार जताया |

विचार गोष्ठी में सीकर संभाग नहर लाओ संघर्ष समिति के संरक्षक प्रोफेसर शिवनाथ सिंह व अखिल भारतवर्षीय जाट महासभा केे जिला अध्यक्ष रतन सिंह पिलानियां, टोडरमल फोगावट, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के धोद तहसील अध्यक्ष गिरधारी लाल रणवा, जिला उपाध्यक्ष हरिराम मील, प्रचार सचिव जगदीश बुरड़क मैलासी, सुभाष फगेड़िया भैंरूंपुरा आदि अनेक किसान व ग्रामीण मौजूद रहे | संचालन राजेन्द्र बीरड़ा ने किया।

कार्यक्रम के अंत में चौधरी कुम्भाराम आर्य की याद में 2 मिनट का मौन रखा गया | श्री आर्य लिखित 3 पुस्तक भी गोष्ठी में वितरित की गईँ

किसान मांग-पत्र में शामिल हैं यह मांगे

इस अवसर पर किसान मांग-पत्र भी पारित किया गया | मांग-पत्र में एमएसपी गारण्टी कानून बनवाने, किसानों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति, एमओयू के अनुसार यमुना नदी व अन्य नदियों के पानी से सीकर संभाग में कृषि योग्य भूमि को सिंचित करने व पेयजल की ठोस कार्य योजना बनाने, मंदिर माफी की जमीनों पर किसानों को खातेदारी अधिकार दिए जाने, स्वामीनाथन फॉर्मूले (सी-2 प्लस 50 प्रतिशत) से सभी फसलों का समर्थन मूल्य घोषित करने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सही तरीके से क्रॉप कटिंग सुनिश्चित किए जाने,  60 साल की आयु के बाद सभी किसानों खेत मजदूरों को 10 हजार रू. मासिक पेंशन दिए जाने, मनरेगा में खेती किसानी के कार्यों को शामिल करने, पेट्रोल डीजल पर एक्साईज व वैट घटाने सहित अनेक मुख्य मांगें शामिल की गई हैं |

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