वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट् सुनील मोर ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि केन्द्रीय बजट में आम आदमी की आषायें घाराषाही हो गई हैं। जिससे विषेष रूप से छोटे व्यापारियों व उधोगपतियों को निराषा हुई हैं। वर्तमान समय शेयर बाजार में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से प्रभावित हुई हैं अतः आवष्यकता इस बात की थी कि देष में छोटी बचत, बीमा योजनाओं के साथ शेयर बाजार को बढ़ावा दिया जाना चाहिये था लेकिन बजट को देखते हुये इन छोटी बचत योजनाओं को बहुत अधिक नुकसान होगा औंर जो टैंक्स स्लैंब में बढ़ोतरी 300000 रूपये से 400000 रूपये की गई हैं एव बारह लाख रू की आय पर आयकर नहीं लगना स्वागत योग्य हैं। परंतु बारह लाख से एक रू से आय अधिक होने पर केवल चार लाख रू की आय पर छूट मिलेगी और शेष आठ लाख पर कर स्लैब के अनुसार आयकर देना होगा। छोटे व्यापारियों व उधोगों को ब्याज में अनुदान कर रियायत आदि की आषा थी लेकिन वो भी पूरी नही हुई हैं। मंहगाई की मार से त्रस्त आम आदमी व मध्यम श्रेणी के परिवारों के लिये मंहगाई में किसी प्रकार कि राहत कम करने का प्रयास नही किया गया हैं। जीएसटी के सरलीकरण का भी लागू होने के सात वर्ष बाद भी सपना अधुरा हैं।