पुलिया निर्माण को लेकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई गुरुवार को दूसरे दिन भी जारी रही। नगर परिषद और पीडब्ल्यूडी ने जेसीबी की मदद से शेष इमारतों को गिरा दिया और मलबा ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से उठाया। हालांकि, प्रभावित लोग इस कार्रवाई का विरोध करते हुए धरने पर बैठे रहे।
खसरा नंबरों पर विवाद
अतिक्रमण हटाने को लेकर खसरा नंबर 819 पर विवाद खड़ा हो गया है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का दावा है कि यह जमीन उनके अधीन है और यहां बनी सभी इमारतें अवैध हैं। वहीं, प्रभावित लोग कह रहे हैं कि उनके पास खसरा नंबर 918 और 920 के पट्टे हैं, जो वैध हैं।
दस्तावेजों पर सवाल
धरने में शामिल लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना सही जांच के मकान और दुकानों को गिराया है। प्रभावितों का कहना है कि उन्होंने अपने दस्तावेज, रजिस्ट्रियां और किरायानामा पहले ही जमा करा दिए थे, लेकिन विभाग ने अनदेखी करते हुए कार्रवाई की।
न्याय की मांग और मुआवजा
प्रभावित लोग मुआवजे की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि पट्टों के आधार पर बने मकानों को तोड़ा गया है, जो न्यायसंगत नहीं है। प्रशासन ने दस्तावेजों की जांच किए बिना कार्रवाई की, जो नियमों के खिलाफ है। धरने पर बैठे लोगों ने चेतावनी दी है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
प्रशासन का पक्ष
पीडब्ल्यूडी के एईएन अखिल ने बताया कि विभाग ने मौके की रिपोर्ट तैयार करने के बाद ही कार्रवाई की है। जिन मकानों के पट्टे उपलब्ध नहीं थे, उन्हें अतिक्रमण मानते हुए हटाया गया। सभी दस्तावेज रेवेन्यू विभाग को जांच के लिए भेज दिए गए हैं।