अजीतगढ़ स्थानीय चौपड़ में रंगमंच पर सोमवार की रात 9 से 11 बजे तक चली रामलीला में प्रभू श्रीराम के सीता और लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के लिए वन गमन करने के पश्चात अवध नरेश महाराज दशरथ ने विलपते विलपते पुत्र वियोग में राम राम कहकर प्राण त्याग दिए। सके बाद ननिहाल गए हुए भरत ने भी घर आकर राज सीसी तिलक नहीं करवाया बल्कि वन में चित्रकूट नामक स्थान पर पहुंचकर श्रीराम से मिलाप किया।इससे पूर्व तमसा नदी पार करवाने के लिए केवट ने पहले श्रीराम के चरण पखार कर पूरे परिवार को भवसागर से मुक्ति दिला ली। रामलीला में नवरतन शर्मा ने राम, अजय स्वामी ने सीता, वैभव जोशी ने लक्ष्मण,दिनेश गोविंद शर्मा ने महाराज दशरथ , श्रवण लाल पारीक, जगदीश स्वामी ने अत्रि,मोनू सोनी ने वाल्मीकि ,पंडित जुगल किशोर जोशी ने केवट ,गौरव शर्मा ने भरत, विमल इंदौरिया ने निखादराज , भोलूराम बड़सीवाल ने चटरवा विदूषक का किरदार निभाया।आज राम सुग्रीव मित्रता का मंचन होगा।