मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर द्वारा आयोजित सीकर में स्ट्रोक मैनेजमेंट पर सत्र
डॉ. नितिन गुप्ता, कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल्स जयपुर प्रत्येक बुधवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच शेखावटी जनाना हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिचर्स सेंटर, सीकर में नियमित न्यूरो ओपीडी आयोजित करते हैं.
स्ट्रोक की समय पर पहचान और प्रबंधन के महत्व के बारे में बताने के लिए मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर ने शेखावटी जनाना हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिचर्स सेंटर, सीकर में स्ट्रोक मैनेजमेंट पर एक सत्र का आयोजन किया. इस सत्र को डॉ. नितिन गुप्ता, कंसल्टैंट – न्यूरोलॉजी ने संबोधित किया और उन्होंने स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों व संकेतों के बारे में बताया, जिन्हें नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए. मणिपाल हॉस्पिटल, जयपुर सीकर में नियमित रूप से न्यूरो ओपीडी लगाता है, डॉ. नितिन गुप्ता हर बुधवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक शेखावटी जनाना हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिचर्स सेंटर, सीकर में उपलब्ध रहते हैं.
सीकर में स्ट्रोक के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. ज्यादातर मामलों में लोग स्ट्रोक के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानकर पहले कुछ घंटों में कोई उपाय नहीं कर पाते हैं. बढ़ते तनाव के कारण युवाओं में भी स्ट्रोक बढ़ रहा है, जिसका कारण इलाज में विलंब भी हो सकता है. इस सत्र की मदद से डॉक्टर का उद्देश्य स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों और जीवन बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में बताना था.
सत्र को संबोधित करते हुए, डॉ. नितिन गुप्ता, कंसल्टैंट – न्यूरोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल्स, जयपुर ने कहा, ‘‘हमारे पास अनेक मरीज और उनके परिवार आते हैं, जो स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचानने में असमर्थ हैं. इस वजह से इलाज में विलंब हो जाता है, और विकलांगता की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, स्थिति गंभीर होने पर मरीज की मृत्यु भी हो सकती है. जीवनशैली में परिवर्तन के कारण तनाव स्ट्रोक पड़ने के सबसे मुख्य कारणों में से एक है. आज मौसम में परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को स्ट्रोक का जोखिम ज्यादा हो गया है. जिन लोगों को साथ में अन्य बीमारियाँ भी हैं, उनके लिए यह खतरा और ज्यादा है.
इसलिए, पहले 4 घंटों में ही सही इलाज दिया जाना मरीज की जान बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. चेहरे, कलाई, या पैर का अचानक सुन्न हो जाना या कमजोर पड़ जाना, खासकर शरीर के एक तरफ ये लक्षण उत्पन्न होना स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है, ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.’’ स्ट्रोक दिमाग में खून के प्रवाह में अस्थायी रुकावट के कारण हो सकता है. यद्यपि मोटापे से पीड़ित लोग, जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर, टाईप 2 डायबिटीज़, और कोलेस्ट्रॉल का असंतुलन है, उन्हें स्ट्रोक का जोखिम ज्यादा होता है.
स्ट्रोक के कारण होने वाली किसी भी स्थायी विकलांगता से बचने के लिए मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए. स्ट्रोक की पुष्टि करने के बाद, न्यूरोलॉजिस्ट अनेक स्कैन, टेस्ट एवं परीक्षण करवाता है, ताकि यह समझा जा सके कि स्ट्रोक से न्यूरोलॉजिकल प्रणाली पर क्या असर हुआ है. इसके लिए किए जाने वाले सामान्य टेस्ट्स में एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, ब्लड ड्रॉ, एंजियोग्राम, एवं ईकोकार्डियोग्राम शामिल हैं. ये परीक्षण स्ट्रोक की गंभीरता एवं अन्य स्ट्रोक पड़ने की संभावना पर रोशनी डालते हैं.