जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, मानद विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शनिवार को समापन हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य पंचकर्म चिकित्सा के मानकीकरण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करना था, ताकि देशभर में इसके लाभ का समान रूप से वितरण हो सके।
कार्यशाला में प्रमुख विषयों पर चर्चा
कुलपति (कार्यवाहक) प्रो. पी हेमंता कुमार ने कार्यशाला की सराहना करते हुए आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पंचकर्म के उपचार की प्रक्रिया को मानकीकरण से आम लोगों को इसके लाभ में मदद मिलेगी।
पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ. गोपेश मंगल ने बताया कि कार्यशाला के दौरान वमन और विरेचन जैसे प्रमुख पंचकर्म उपचारों के मानकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया। देश के विभिन्न राज्यों से 14 विशेषज्ञों ने कार्यशाला में भाग लिया और पंचकर्म चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
समापन समारोह में उपस्थित लोग
समापन समारोह में कुलसचिव प्रो. अनीता शर्मा, प्रो. अनुपम श्रीवास्तव, पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ. गोपेश मंगल, डॉ. सर्वेश कुमार सिंह, डॉ. क्षिप्रा राजोरिया, डॉ. विपिन तंवर, पंचकर्म वैद्य डॉ. वैभव बापट और डॉ. अनुश्री डी. ने भी भाग लिया।