लक्ष्मणगढ़: नवरात्र में दुर्गा पूजा महोत्सव आता है धार्मिक रूप से मीनी बंगाल के रूप में नजर
सीकर के लक्ष्मणगढ़ कस्बा सार्वजनिक दुर्गा पूजा महोत्सव के लिए शेखावाटी में जनक के रूप जाना जाता है तथा महोत्सव के दौरान धार्मिक रूप से मीनी बंगाल के रूप में नजर आता है.
सीकर के लक्ष्मणगढ़ शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा महोत्सव का वैसे तो सभी जगह मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना व महोत्सव का आयोजन होता है. लेकिन लक्षमनगढ कस्बा सार्वजनिक दुर्गा पूजा महोत्सव के लिए शेखावाटी में जनक के रुप जाना जाता है तथा महोत्सव के दौरान धार्मिक रूप से मीनी बंगाल के रूप में नजर आता है. यहां करीब 3 दशक पूर्व सुक्ष्म रूप से ही सही तोदी कुई के पास सार्वजनिक रूप से विधिवत दुर्गा पूजा महोत्सव की शुरुआत हुई जो अब न केवल लक्षमनगढ बल्कि आसपास इलाकों व कस्बों में भी दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन होने लगा है.
लक्ष्मणगढ़ में भी एक दर्जन से अधिक स्थानों पर महोत्सव का आयोजन होता है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी दुर्गा पूजा महोत्सव के विशाल धार्मिक आयोजन होते हैं. शारदीय नवरात्र के दौरान लक्षमनगढ कस्बा धार्मिक रूप से मीनी बंगाल का रूप धारण कर लेता है. यहां एक दर्जन से अधिक स्थलों पर हजारों श्रद्धालु रात की आरती में शामिल होते हैं जिनमें बढ़े -बुजुर्ग महिलाएं, युवाओं व बच्चों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रहती है. भक्ति का ऐसा जुनून की आरती के समय पांडाल में सैकड़ों लोग भी झूमने लग जाते हैं. प्रवासी बन्धुओं का भी इस दौरान विशेष लगाव होने लगा है.
दुर्गा महोत्सव के आयोजन से जुड़े पवन बूटोलिया,पवन गोयनका, विष्णु भूत कमल तोदी रवि जोशी आदि ने बताया कि लक्षमनगढ में सबसे पहले 1981 मे तोदी कुंई के पास तीन दिन का सार्वजनिक दुर्गा पूजा महोत्सव आयोजित हुआ. उस दौरान मां दुर्गा की फोटो रखकर की गई थी सार्वजनिक रूप से आयोजन किया गया फिर चौथे दिन लकड़ी के तक्ते पर मां की मूर्ति बनाई गई व जुलूस के रूप मे मां की मूर्ति का विसर्जन किया गया.
उसके अगले वर्ष यानी 1982 में मूर्तिकार भंवरलाल नायक ने मिट्टी की बड़ी मूर्ति का निर्माण किया जिसकी स्थापना कर तोदी कुई पर सार्वजनिक दुर्गा पूजा महोत्सव के रूप मे शुरू किया जो नौ दिन तक हुआ तथा दसवें दिन शहर के मुख्य मार्गों से भव्य जुलूस निकाला गया व सेठों के जोहडे में विसर्जन किया. इसके बाद से लक्षमनगढ कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्गा पूजा महोत्सव के बडे सार्वजनिक आयोजन होने लगें हैं.
लक्ष्मणगढ़ में इसके बाद लालकुआं दुर्गा पूजा स्थल पर सार्वजनिक दुर्गा पूजा महोत्सव शुरू हुआ तो धीरे धीरे अन्य स्थलों पर जिनमें मुख्य रूप से कबूतरिया कुआं, डाकखाना दुर्गा पूजा, केसरिया महोत्सव के बाद तो शारदीय नवरात्र के दौरान लक्षमनगढ कस्बा पूरी तरह दुर्गा मय नजर आने लगता है. जगह जगह पांडाल लगाकर दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन होने लगें. महोत्सव शुरू होने से पूर्व करीब एक माह पहले बंगाल से कारीगर लक्षमनगढ में आकर मीट्टी की मूर्तियों का निर्माण करते हैं.