वेलनेस एण्ड मेडिटेशन पर कार्यशाला के समापन के दौरान एक्सपर्ट टॉक का आयोजन

गिट्स में वेलनेस एण्ड मेडिटेशन पर कार्यशाला के समापन के दौरान रिसर्च, डवलपमेंट एण्ड इनोवेशन इन वाटर एण्ड फूड क्वालिटी फॉर सेस्टेनेलिबिटी पर एक्सपर्ट टॉक का आयोजन किया गया.

गीतांजली इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज डबोक उदयपुर (गिट्स) में इलेक्ट्रिकल इन्जिनियरिंग विभाग एवं राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, चण्डीगढ के संयुक्त तत्वाधान में वेलनेस एण्ड मेडिटेशन पर 05 दिन तक चलने वाली कार्यशाला के समापन के दौरान रिसर्च, डवलपमेंट एण्ड इनोवेशन इन वाटर एण्ड फूड क्वालिटी फॉर सेस्टेनेलिबिटी पर एक्सपर्ट टॉक का आयोजन किया गया. इस एक्सपर्ट टॉक में सी.एस.आई.आर. के प्रोफेसर डॉ. बबन कुमार सिंह बनसोद ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया.संस्थान निदेशक डॉ. एन.एस. राठौड ने इस एक्सपर्ट टॉक में रिसर्च का महत्व बताते हुए कहा कि रिसर्च वह है जो आपके आस-पास उपलब्ध वस्तुओं में इनोवेशन कर उसको सरल बनाकर आम आदमी के लिए उपलब्ध कराती हैं. अगर हम कृर्षि में इनोवेशन की बात करे तो आज भारत 310 मिलियन टन अनाज, 210 मिलियन टन दुध तथा 325 मिलियन टन फ्रूट प्रतिवर्ष तथा पूरे विश्व का 55 प्रतिशत आम का उत्पादन कर पूरे विश्व में अग्रणी हैं. भारत को खाद्यान सम्पन्न होने के बावजूद भी खाद्यान अभी भी आम लोगोें पहुंच से बाहर हैं. अगर हम जलसंरक्षण की बात करते है तो आज 85 प्रतिशत जल कृर्षि उत्पाद के लिए, 10 प्रतिशत जल इण्डस्ट्री तथा मात्र 5 प्रतिशत जल घरेल उपयोग हेतु काम में लिया जाता हैं. संरक्षण के संदर्भ में कृर्षि कार्य हेतु होने वाले जल प्रयोग में और रिसर्च की आवश्यकता है जिससे जल की खपत को कम किया जा सके.

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बतौर मुख्य अतिथि डॉ. बनसोद आज हम अपने को मिसाइल के दम पर सुपर पॉवर कह सकते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि बिना फूड और वाटर के कुछ भी संभव नही हैं. वाटर और फूड एक दुसरे पर निर्भर हैं. बिना फूड और वाटर के दुनिया संभव नहीं हैं. अगर हम प्रसिसन एग्रीकल्चर की बात करे तो हमें आवश्यकता अनुसार ही उचित समय पर उपर्युक्त मात्रा में जल, उर्वरक आदि का प्रयोग करना होगा. साथ ही कीटनाशक का उपयोग कम से कम करना होगा क्योंकि कीटनाशक ही वाटर और फूड को प्रदूषित करते हैं. इस दौरान श्री वसोद ने जल संरक्षण तथा उसकी क्वालिटी को मापने के लिए जल संसाधन मंत्रालय के साथ चल रहे विभिन्न आईओटी एवं मशीन लर्निंग आधारित प्रोजेक्ट्स को फेकल्टी मेंबर्स एवं विद्यार्थियों के साथ साझा किया. साथ ही मृदा मापन के विभिन्न तकनीकों पर चर्चा की.

कार्यक्रम के संयोजक एवं इलेक्ट्रिकल इन्जिनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. प्रकाश सुन्दरम के अनुसार 05 दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में जीवन को सरल, सफल एवं स्वस्थ बनाने के लिए विद्यार्थियों एवं फेकल्टी मेम्बर्स को राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, चण्डीगढ के विशेषज्ञ प्रो. पी.के. सिंग्ला, शिल्पा सूरी एवं प्रो. रितुला ठाकुर आदि केे द्वारा महत्वपूर्ण टिप्स प्रदान किये गये. कार्यक्रम की व्यवस्था असिस्टेंट प्रो. लतिफ खान तथा संचालन असिस्टेंट प्रो. श्रुति भादवीया द्वारा किया गया. 

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