शेखावाटी ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशंस में “सूक्ष्म हरित क्रांति” पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन…

जैविक खेती व स्थायी कृषि को लेकर छात्रों को मिला मार्गदर्शन, विशेषज्ञों ने बताए नवाचार के उपाय

जयपुर रोड स्थित शेखावाटी ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशंस में “सूक्ष्म हरित क्रांति” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सफलता पूर्वक किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती और भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हुआ, जो शुभता का प्रतीक है।

यह कार्यशाला विशेष रूप से कृषि के छात्रों के लिए आयोजित की गई, जिसमें बी.टेक एग्रीकल्चर और बी.एस.सी एग्रीकल्चर के विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. अनिरुद्ध गर्ग थे, जो “प्रोयोटा इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन फार्मिंग एंड सस्टेनेबिलिटी” के चेयरमैन हैं।

अपने संबोधन में डॉ. गर्ग ने बताया कि कृषि आने वाले समय का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा और उसमें जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) का विशेष स्थान होगा। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार जैविक खेती पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाती है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें स्थायी कृषि और वानिकी को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीतियाँ बना रही हैं।

डॉ. गर्ग ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्हें प्रेरित किया कि वे जैविक खेती को अपने अध्ययन और करियर का अभिन्न हिस्सा बनाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा पीढ़ी को कृषि में नवाचार लाने और पर्यावरण की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

कार्यशाला में श्री कमलेश पारीक, जो “ईश्वर-सृष्टि सेवा प्रन्यास ट्रस्ट,” मुंबई के अध्यक्ष और अखिल भारतीय गो संरक्षण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने गोपालन और कृषि अनुसंधान की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने समझाया कि पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ और जैविक खेती आधुनिक कृषि के साथ मिलकर कैसे एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य का निर्माण कर सकती हैं।

अपने प्रेरणादायक संदेश में श्री पाथिक ने विद्यार्थियों को “सूक्ष्म हरित क्रांति” में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गो-आधारित जैविक खेती भविष्य के कृषि विकास का आधार है, और इससे पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ दोनों प्राप्त किए जा सकते हैं।

कार्यशाला ने विद्यार्थियों को कृषि क्षेत्र में नए आयामों की जानकारी दी और उन्हें स्थायी कृषि के प्रति प्रेरित किया। इस कार्यक्रम ने छात्रों को नवाचार और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।