शेखावाटी में माता रानी का ऐसा दरबार, जहां 4 देवियां एक साथ हैं विराजमान, 550 वर्ष पुरान यह मंदिर एक चूने की परात से बना है

शेखावाटी में पहाड़ों पर स्थित कई ऐसे दुर्ग व मंदिर हैं जिनका इतिहास बेहद ही रोचक है। एक ऐसा ही मंदिर सीकर जिले के खंडेला में अरावली की वादियों में बसा है जिसकी मान्यता समय के साथ बढ़ती जा रही है।

अरावली पर्वत श्रृंखला की 650 फीट ऊंची पहाड़ियों पर स्थित मां चामुंडा का मंदिर देश के अनेक प्रदेशों के जन-जन में आस्था का केंद्र बना हुआ है. शेखावाटी का यह एक ऐसा मंदिर है, जहां महा काली, महाचामुंडा, महासरस्वती और महादुर्गा चारों देवियां एक साथ विराजमान हैं.

मन्दिर परिसर में नवरात्रि में 9 दिन विशेष साज सजावट और पूजा-अर्चना की जाती है. खण्डेला सहित अन्य स्थानों से काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मन्दिर में रहती है. अष्टमी और नवमी को मन्दिर में ज्यादा भीड़ रहती है. पुजारी शर्मा ने बताया कि मां चामुंडा का मंदिर करीब 550 साल पुराना है. जो 650 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. मन्दिर की खास बात यह है कि मंदिर सिर्फ एक तगारी चुने में बनाया गया था. बताया जाता है कि मंदिर निर्माण के समय तगारी में से कभी भी चुना समाप्त नहीं हुआ. शेखावाटी सहित अन्य स्थानों के श्रद्धालुओं के लिए इस मंदिर का काफी महत्व है.

इसके साथ ही पुजारी ने बताया की बुजुर्गों के अनुसार चामुंडा माता देवी का प्राचीन मंदिर खंडेला के पश्चिमी में खंडेश्वर नाम का प्रसिद्ध शिवालय का मंदिर था उसी शिवालय के मंदिर में चामुंडा माता का एक छोटा मंदिर था मंदिर पहले पहाड़ी के तल में स्थापित था. जहां माता का उद्धगम हुआ था, उसके पास श्मशान भूमि थी. एक दिन माता ने पुजारी को दर्शन दिए और माता की मूर्ति को अन्य स्थान पर विराजमान करने की बात कही. इसके बाद पुजारी ने सभी कस्बेवासियों को एकत्रित किया. फिर एक सुत कूकरी और हल्दी की गांठ पूर्व से पश्चिम दिशा में फेंक दी थी. जहां पर ये जाकर गिरा, वहीं आज चामुंडा माता का मंदिर स्थापित है. जो आज जन जन की आस्था का केंद्र है। यहां बारह माह पूरे भारतवर्ष से अपनी कुलदेवी के दर्शनार्थ और जात जडूलो के लिये आते हैं।

खास बात यह है कि पूरे मन्दिर का निर्माण सिर्फ एक तगारी चूने में हुआ था. फिर सभी कस्बेवासियों ने मिलकर पालकी में माता की प्रतिमा की पहाड़ी पर स्थापना की. नवरात्रि के समय काफी संख्या में श्रद्धालु मन्दिर में आते हैं. अष्टमी और नवमी को विशेष भीड़ रहती है. ऐसा भी कहा जाता है मन्दिर में मांगी गई सारी मन्नतें पूरी होती है.

 

chamunda mataHISTORY OF GODDESS CHAMUNDA TEMPLE SITUATED ON THE HILL IN SHEKHAWATIma chamunda mandirrajasthanshekhawati mandirshekhawati templeSikarमहा कालीमहाचामुंडामहासरस्वती और महादुर्गामां चामुंडा का मंदिर