समरसता, समर्पण और संगठन का संदेश लिए “समरसता दिवस समारोह” भव्यता के साथ सम्पन्न…

राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय), सीकर द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती पर प्रेरणास्पद आयोजन

राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय), सीकर द्वारा संविधान निर्माता, समाज सुधारक एवं भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की 134वीं जयंती के पावन अवसर पर “समरसता दिवस समारोह” का आयोजन श्री गोपाल फोगावट स्मृति प्रन्यास भवन, संगठन कार्यालय, सीकर में अत्यंत गरिमामयी, प्रेरणादायी एवं सुसंगठित रूप में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पुरुषोत्तम मिश्रा, सह विभाग कार्यवाहक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सीकर ने अपने सारगर्भित संबोधन में डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक दृष्टिकोण, न्यायप्रियता एवं शिक्षा के प्रति समर्पण पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षक समाज से आग्रह किया कि वे अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक संवेदनशील सामाजिक संबंध स्थापित करें और सामाजिक समरसता को परिवार भाव से पुष्ट करें।

विशिष्ट अतिथि प्रदेश सभा अध्यक्ष संपत सिंह ने डॉ. हेडगेवार एवं डॉ. अम्बेडकर के राष्ट्रनिष्ठ चिंतन के बीच की समरसता को उजागर करते हुए कहा कि “जब हम वाल्मीकि एवं वेदव्यास जैसे ऋषियों द्वारा रचित ग्रंथों का अवलोकन करते हैं, तो हमारी दृष्टि विस्तृत होती है और समाज के प्रति दायित्व बोध और गहराता है।” उन्होंने सदन को जागृत करते हुए प्रेरणादायक शब्दों में कहा – “जब जागो तभी सवेरा है।”

समारोह में सीकर, पिपराली एवं धोद उपशाखा सहित जिला एवं प्रदेश कार्यकारिणी के समस्त पदाधिकारीगण, कार्यकर्ता एवं सदस्यगण ससम्मान उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने डॉ. अम्बेडकर के जीवन-दर्शन, समता, बंधुत्व, संविधान निर्माण में उनके योगदान तथा शिक्षा के प्रति उनके विचारों को विस्तार से साझा करते हुए शिक्षक समाज से उनके आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में धोद उपशाखा अध्यक्ष कैलाश कविया एवं पिपराली उप शाखा मंत्री ओमपाल सिंह ने सभी आमंत्रित अतिथियों का प्रतीक चिह्न एवं दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया। समारोह में उपस्थित बड़ी संख्या में शिक्षक-कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने आयोजन को एक ऐतिहासिक और प्रेरणास्पद स्वरूप प्रदान किया।

कार्यक्रम के समापन पर सीकर उपशाखा अध्यक्ष अरुण तिवारी ने समस्त अतिथियों, कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों एवं आयोजन से जुड़े सहयोगियों का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए सभी से संगठन की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने हेतु सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज यदि संगठित भाव से समाज निर्माण में जुटे, तो समरसता और समर्पण की भावना से राष्ट्र को नई दिशा दी जा सकती है।

यह “समरसता दिवस समारोह” मात्र श्रद्धांजलि का अवसर न होकर शिक्षक समाज के लिए आत्ममंथन, संगठनात्मक प्रतिबद्धता एवं सामाजिक समरसता की भावना को सुदृढ़ करने वाला प्रेरणास्रोत बन गया।