सीकर और नीमकाथाना जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों और महिलाओं को दिए जा रहे पोषाहार की गुणवत्ता लगातार घट रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पोषाहार की गुणवत्ता खराब होने की कई शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन महिलाएं और बच्चों के अभिभावक इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अनुसार, पोषाहार की सप्लाई जयपुर से की जा रही है, और अब खिचड़ी के पैकेट में चावल तो आते हैं, लेकिन दाल की मात्रा बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती। पहले चावल और दाल बराबर मात्रा में होते थे, लेकिन अब दाल की मात्रा न के बराबर होने से बच्चों को सही पोषण नहीं मिल पा रहा है।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि क्वालिटी में गिरावट के कारण खिचड़ी पकाने पर उसका रंग सफेद हो जाता है और उसमें ऑयल जैसी दुर्गंध आती है। इसके अलावा मीठा और फीका दलिया ठीक से पक नहीं पा रहा है, और उपमा पकाने पर वह हलवे की तरह मिक्स हो जाता है। तीन से छह साल के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार पकाकर दिया जाता है, जबकि तीन साल तक के बच्चों के अभिभावकों को पोषाहार पैकेट में दिया जाता है। केंद्र पर बच्चों को पोषाहार के रूप में खिचड़ी, दलिया और उपमा दिया जाता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक धर्मवीर मीणा ने कहा कि यदि आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार की गुणवत्ता में कोई समस्या है, तो उसे तुरंत जांचवाया जाएगा और खामी मिलने पर सुधार किया जाएगा।