सीकर से सांसद कॉमरेड अमराराम को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] के पोलित ब्यूरो का सदस्य चुना गया है। यह पहली बार है जब राजस्थान से किसी नेता को इस प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया गया है। अमराराम पार्टी में वरिष्ठ नेता वृंदा करात के करीबी माने जाते हैं, जिससे उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका प्राप्त करने का अवसर मिला। हालाँकि, इस नई ज़िम्मेदारी के साथ उनके सामने कई राजनीतिक चुनौतियाँ भी खड़ी होंगी।
तमिलनाडु के मदुरै में आयोजित CPI(M) के 24वें राष्ट्रीय महासम्मेलन में यह निर्णय लिया गया। महासम्मेलन की अध्यक्षता कॉमरेड माणिक सरकार ने की, जहाँ एम.ए. बेबी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। अमराराम के चयन से सीकर सहित पूरे राजस्थान में पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर है।
छात्र राजनीति से राष्ट्रीय स्तर तक का सफर
कॉमरेड अमराराम का जन्म 5 अगस्त 1955 को राजस्थान के सीकर जिले के मूंडवाड़ा गांव में हुआ। एक कृषक परिवार में जन्मे अमराराम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद सरकारी शिक्षक के रूप में कार्य किया, लेकिन जल्द ही राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे।
उनका राजनीतिक जीवन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से शुरू हुआ। 1979 में वे कल्याण सिंह कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष बने और उसी वर्ष SFI की राजस्थान इकाई के उपाध्यक्ष का पद भी संभाला।
समाज सेवा और संघर्ष की राह पर चलते हुए, उन्होंने दो बार सरपंच का कार्यभार संभाला और चार बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने। 1993 से 2013 तक उन्होंने धोद और दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा, वे ऑल इंडिया किसान महासभा के उपाध्यक्ष भी रहे और किसानों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। वर्तमान में वे माकपा की राजस्थान इकाई के राज्य सचिव भी हैं।
लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत
2024 के लोकसभा चुनाव में अमराराम ने सीकर सीट से CPI(M) के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। उन्होंने इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और भाजपा के दो बार के सांसद सुमेधानंद सरस्वती को 73,247 वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस जीत के साथ CPI(M) ने 35 वर्षों के बाद सीकर में अपनी मजबूत वापसी दर्ज कराई।
अमराराम का राजनीतिक जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक रहा है। उन्होंने किसानों और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष किया है।
क्या होता है पोलित ब्यूरो?
पोलित ब्यूरो किसी भी कम्युनिस्ट पार्टी की सबसे ताकतवर इकाई होती है, जो पार्टी की नीतियों और रणनीतियों का निर्धारण करती है। इसका कार्य पार्टी के अंदर निर्णय लेना और सरकार पर प्रभाव डालना होता है।
पोलित ब्यूरो की अवधारणा 1917 की रूसी क्रांति के बाद बनी और इसे 1919 में आधिकारिक रूप से अपनाया गया। सोवियत संघ में यह संस्था शासन की मुख्य शक्ति बनी, जिसमें लेनिन, स्टालिन और ट्रॉट्स्की जैसे नेता शामिल थे।
आज यह प्रणाली चीन, क्यूबा, वियतनाम, उत्तर कोरिया और भारत सहित कई देशों की कम्युनिस्ट पार्टियों में मौजूद है। भारत में CPI और CPI(M) दोनों में पोलित ब्यूरो महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली इकाई है। इसके सदस्य पार्टी की नीतियों, कार्यक्रमों और अनुशासन को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी निभाते हैं।
राजस्थान के लिए नई राजनीतिक दिशा
अमराराम का पोलित ब्यूरो सदस्य चुना जाना राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है। इससे राज्य में वामपंथी राजनीति को नई दिशा मिल सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी नई भूमिका में पार्टी को कैसे मजबूत करते हैं और आगामी राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करते हैं।