स्वामी विवेकानंद का सीकर आगमन
1891 में स्वामी विवेकानंद ने सीकर के ऐतिहासिक गढ़ में ठहरकर क्षेत्र को गौरवान्वित किया। राव राजा माधोसिंह के आग्रह पर वे देवीपुरा के माधव निवास कोठी आए और गढ़ परिसर में सिंह दरवाजे के पास बुर्ज में रुके। खेतड़ी महाराजा अजीत सिंह ने उन्हें “विवेकानंद” नाम दिया और शेखावाटी शैली की पगड़ी भेंट की। उनकी स्मृति में मंडावरा के कैलाशचंद्र कारगवाल हर साल उनकी जयंती पर वाटर कलर चित्र बनाते हैं, जो स्कूलों में वितरित किए जाते हैं।
राहुल खेदड़: बागवानी में सफलता
बेरी गांव के राहुल खेदड़ ने परंपरागत खेती छोड़ बागवानी में सफलता की मिसाल पेश की। अनार, मौसमी, और आलू बुखारा के साथ नर्सरी का काम शुरू कर राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से मान्यता प्राप्त की। उनकी नर्सरी से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले पौधे सब्सिडी पर मिलते हैं, जिससे अधिक पैदावार होती है।
शालिनी चौधरी: पैरा एथलेटिक्स में चमकता सितारा
सीकर की दृष्टिहीन शालिनी चौधरी ने पैरा एथलेटिक्स में 30 से अधिक पदक जीते हैं, जिनमें दो अंतरराष्ट्रीय पदक शामिल हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड और बहरीन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। कला वर्ग में 96.80% अंकों के साथ जिले में प्रथम स्थान पाने वाली शालिनी अब एमए (इतिहास) की छात्रा हैं। उनकी मां सरोज उनकी कोच हैं और हर कदम पर प्रेरणा बनी हुई हैं।