क्या आपको पता है कि आखिर क्यों होती है डॉक्टर्स की हैंडराइटिंग खराब, क्या है खास वजह? जानें यहां

जरा सोचिए Epididymitis नाम की अगर कोई बीमारी हो, जिसे आपको बिना स्पेलिंग चेक किए हुए लिखना पड़े तो आप भी सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर इसे कैसे लिखें.

 जब भी आप बीमार पड़ते हैं तो अपने इलाज के लिए डॉक्टर के पास जरूर जाते हैं. डॉक्टर आपका इलाज करने के बाद आपको कुछ दवाईयां प्रिस्क्राइब करता है. हालांकि, डॉक्टर द्वारा लिखे गए प्रिस्क्रिप्शन पर वास्तव में क्या लिखा है, वो हमें बिल्कुल भी समझ नहीं आता. ऐसे कितने ही लोग होंगे, जिनको इस बात से शिकायत होती है कि आखिर डॉक्टर्स की हैंडराइटिंग इतनी खराब क्यों होती है? आखिर डॉक्टर द्वारा पर्चे पर लिखी गए प्रिस्क्रिप्शन को पढ़ना इतना मुश्किल क्यों होता है? आगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते तो..

आइये आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं. डॉक्टर्स की हैंडराइटिंग के खराब होने का सबसे अहम कारण समय की कमी. डॉक्टरों के पास हर दिन ना जाने कितने ही पेशंट्स आते हैं, ऐसे में डॉक्टर्स के पास इतना समय नहीं होता कि वे हर पेशंट को पूरा समय दे पाएं और आराम से उससे बातें करते हुए उसका पर्चा तैयार कर सकें. वहीं ज्यादातर डॉक्टर्स  हड़बड़ी में रहते हैं क्योंकि उन्हें एक निश्चित समय में बहुत सारे मरीजों का इलाज करना होता है. ऐसे में समय की कमी और हड़बड़ी के कारण ही डॉक्टरों की लिखावट खराब हो जाती है

आपने गौर किया होगा कि जब आप किसी परीक्षा का पेपर लिखते हैं तो शुरुआत में आप अच्छी हैंडराइटिंग में परीक्षा लिखते हैं, लेकिन पेपर खत्म होते-होते आप हड़बड़ी में लिखने लग जाते है और आपकी हैंडराइटिंग खराब होने लग जाती है.

इसका मुख्य कारण यह है कि आपको एग्जाम पेपर को खत्म करने की हड़बड़ी तो होती ही है, साथ ही आपके हाथों की मांसपेशियां भी पेपर के आखिर तक थक जाती हैं, इसलिए आपकी लिखावट खराब हो जाती है. यही चीज डॉक्टर्स के साथ भी होता है.

एक तरह से मेडिकल टर्म भी डॉक्टरों की खराब लिखावट के लिए जिम्मेदार है. जरा सोचिए Epididymitis नाम की अगर कोई बीमारी हो, जिसे आपको बिना स्पेलिंग चेक किए हुए लिखना पड़े तो आप भी सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर इसे कैसे लिखें. इसी तरह से कई ऐसे मेडिकल टर्म्स हैं, जिन्हें अगर डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर लिखना शुरू करें तो मरीज भी वाकई कन्फ्यूज हो जाएगा. हालांकि, आपने ध्यान दिया होगा कि डॉक्टरों की लिखाई भले ही आपको समझ न आए लेकिन केमिस्ट वाले को आसानी से समझ आ जाती है.

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