जलमहलः भारत का अनोखा महल, इसका निर्माण कब और क्यों करवाया गया?, आइए जानते है
भारत की इस अद्भुत एतिहासित विरासत का नाम है 'जल महल', है. राजा इस महल का निर्माण अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था.
आज हम आपको एक ऐसी विरासत से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो बेहद ही खास और अनोखी हैं. खासकर राजस्थान में तो ऐसी एतिहासिक इमारतों की भरमार है, जो सैकड़ों साल पुरानी हैं और कुछ तो हजारों साल. यहीं इमारतें भारत की आन-बान और शान भी कहलाती हैं और विरासत भी. इसे ‘रोमांटिक महल’ के नाम से जाना जाता था. अरावली पहाड़ियों के गर्भ में स्थित जल महल को मानसागर झील के बीचों-बीच होने के कारण ‘आई बॉल’ भी कहा जाता है.
भारत की इस अद्भुत एतिहासित विरासत का नाम है ‘जल महल’, है. जल महल का निर्माण आमेर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में करवाया था. जयपुर-आमेर मार्ग पर मानसागर झील के मध्य इस महल का निर्माण करवाया था. इस महल के निर्माण से पहले जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया था.
राजा इस महल का निर्माण अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था. इस महल में त्यौहारों पर उत्सवों का आयोजन भी होता था.
पांच मंजिला इस जल महल की सबसे खास बात ये है कि इसका सिर्फ एक मंजिल ही पानी के ऊपर दिखता है जबकि बाकी के चार मंजिल तो जल में डूबी रहती है. यही वजह है कि इस महल में गर्मी नहीं लगती.
इस महल से पहाड़ और झील का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है. खासकर चांदनी रात में तो झील के पानी में स्थित यह महल बेहद ही खूबसूरत लगता है. यह महल अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जल महल के नर्सरी में एक लाख से भी ज्यादा पेड़ लगे हुए हैं, जिनकी दिन-रात रखवाली होती रहती है और इस काम में करीब 40 माली लगे हुए हैं. यहाँ पर लगभग 150 वर्ष पुराने पेड़ों का ट्रांसप्लांट करके नव-जीवन दिया गया है.
यह नर्सरी राजस्थान का सबसे उंचे पेड़ों वाला नर्सरी है. इस महल में प्रत्येक वर्ष अनेक प्रकार के पेड़ों को नव-जीवन दिया जाता है. यहाँ पर अरावली, शर्ब, हेज, क्रीपर और ओर्नामेंटल की लाखों प्रजातियां मौजूद है. सवाई जय सिंह ने इस महल को इस प्रकार से बनवाया है कि, यह महल देखते ही किसी को भी पसंद आ जाए.
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