दादा जी ने कहा एक बार मेरे लिए एक्जाम दे दे और पोते ने UPSC में गाड़ दिये झंडे
रोहन ने बताया कि दसवीं कक्षा में मैं जिला मेरिट में दूसरा स्थान आया था. 93% के साथ मैंने दसवीं उत्तीर्ण की थी. उसके बाद कॉमर्स संकाय लेकर 12वीं की परीक्षा दी तो 96 पर्सेंट आए थे.
Fatehpur : सीकर के फतेहपुर के केशान परिवार में सोमवार का दिन खुशियां लेकर आया. परमेश्वर केशान के पौत्र और सुनील केशान के बेटे रोहन केशान ने यूपीएससी की परीक्षा में शानदार सफलता अर्जित करते हुए परिवार और कस्बे का नाम रोशन किया है. रोहन केशान दो बार परीक्षा में फेल हो गया था, मगर जब रोहन के दादा जी ने उसे कहा कि एक बार मेरे लिये एक्जाम दे दे , तो रोहन ने एक्जाम दिया और इस बार सफलता हासिल की.
यूपीएससी में रोहन केशान ने 387 वीं रैंक हासिल की है. यूपीएससी का परिणाम आते ही पूरे परिवार में खुशियों का माहौल हो गया. बधाईयों का सिलसिला चल निकला. रोहन के पिता सुनील व्यापारी हैं और मां हाउस वाइव हैं. रोहन केशान के पिता सुनील केशान का कहना है कि रोहन के दादाजी परमेश्वर जी का सपना साकार हुआ और ये उनके आशिर्वाद का ही फल की रोहन को सफलता मिली है. रोहन ने अपनी सफलता का श्रेय नगर आराध्यदेव श्रीलक्ष्मीनाथ और दादा स्व. परमेश्वर की प्रेरणा के साथ साथ परिवार को दिया.
रोहन ने बताया कि दसवीं कक्षा में मैं जिला मेरिट में दूसरा स्थान आया था. 93% के साथ मैंने दसवीं उत्तीर्ण की थी. उसके बाद कॉमर्स संकाय लेकर 12वीं की परीक्षा दी तो 96 पर्सेंट आए थे. उसके बाद मैंने मेहनत करके सीए फाउंडेशन का एग्जाम दिया. उसने मुझे ऑल इंडिया नौवां स्थान मिला था. रोहन 21 साल में ही सीए बन चुके थे और इसके बाद मुंबई से इंटर्नशिप की थी.
रोहन के मुताबिक सीए फील्ड में लिमिटेड स्कोप था, सिर्फ फाइनेंस से ही डील कर सकता था, तो मुझे लगा कि इतनी पढ़ाई करने के बाद सिर्फ एक फील्ड में रहना पड़ेगा. इससे अच्छा यूपीएससी ट्राई करते हैं , अगर सिलेक्शन हुआ तो अच्छी बात नहीं हुआ तो सीए तो है ही. यूपीएससी पास करने के बाद बड़ा स्कोप हो जाएगा. विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का अवसर मिलेगा.
रोहन कहते हैं कि किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए खुद में आत्मविश्वास बहुत जरूरी होता है और मैंने मेरा आत्मविश्वास डिगने नहीं दिया. यूपीएससी का परीक्षा पैटर्न लंबा चलता है. पहले प्री एग्जाम उसके बाद मेंस एग्जाम और उसके बाद इंटरव्यू होता है. इस पूरी प्रोसेस में कम से कम 1 साल लग जाता है. 1 साल तक खुद का आत्मविश्वास बनाए रखना बड़ी बात होती है. दूसरी बार प्री एक्जाम पास किया लेकिन मेंस में फेल हो गया. इसके बाद सेल्फ मोटिवेटेड रहने और तैयारी अधिक मजबूत करने के लिए मैंने मेरे ही जैसे चार लोगों का ग्रुप बनाया.
इस ग्रुप बनाने का सबसे बड़ा फायदा ये था कि आप भी डिमोटिवेट नहीं होते, हरदम मोटिवेशन मिलता रहता. कोई भी प्रॉब्लम होती तो ग्रुप में डिस्कशन करते हैं और इसके बाद ग्रुप में प्लान बनाते की कैसे तैयारी करें और उसका मुझे बड़ा फायदा मिला. मेरे साथ मेरे ग्रुप के एक सदस्य का भी सिलेक्शन हुआ है.
रोहन ने बता कि परिवार ने बहुत सपोर्ट किया. रोहन पढ़ाई के लिए 1 साल दिल्ली में रहे और वहां पर समझा कि यूपीएससी परीक्षा को क्लियर करने वाले किस तरह से तैयारी करते हैं. मैंने सेल्फी स्टडी की. बिना कोचिंग के यूपीएससी का एग्जाम पास किया. मेरा सभी को यही संदेश है अगर आपको कोई भी बड़ी परीक्षा पास करनी है. तो खुद का मनोबल टूटने नहीं देना है. सफलता देरी से मिल सकती है. लेकिन आत्मविश्वास होगा तो सफलता जरूर मिलेगी.
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