महारास कथा में श्रोता गोपिकाएं बन कर खूब झूमे नाचे,रुक्मिणी विवाह की झांकी सजाई

सीकर।नगर की देवीपुरा हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्री कृष्ण द्वारा महारास कथा सुनाते हुए कहा कि वृन्दावन में आज भी गोपी भाव वाले भक्तों के लिए श्री कृष्ण सुलभ है।उन्होंने कहा कि महारास में त्रेतायुग के सभी संत वृंद एवं वेदों की ऋचाएं करोड़ों की संख्या में गोपिकाएं बनकर आई थीं। गोपाल की बंशी की धुन सुनकर ब्रज की गोपिकाएं सुध बुध भूल कर जिस हालत में थी वैसी ही दौड़ी चली आई। भगवान शंकर भी गोपी बनकर आए तब से शंकर भगवान गोपेश्वर कहलाए। कथा व्यास द्वारा गाए गए गोपी गीत पर सभी श्रोता झूम उठे और खूब नाचे।
कथा व्यास कमल नयन महाराज ने गोवर्धन कथा सुनाते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने इंद्र का अभिमान तोड़ने के लिए गोवर्धन को मात्र सात वर्ष की आयु में सात दिन और सात रात्रि के लिए
कनिष्ठा अंगुली पर उठा कर प्रकृति के संरक्षण का संदेश देकर उसकी पूजा करवाई । ब्रजवासियों द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने के रहस्य के बारे में पूछने पर कृष्ण ने कहा कि ” कछु माखन को बल भयो, कछु गोपियन करी सहाय। राधा जू की महर से, पर्वत लियो उठाय।।” कथा व्यास ने गिरिराज भक्त राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल का उदाहरण देते हुए कहा कि गोवर्धन गिरिराज आज भी प्रत्यक्ष देवता हैं जो अपने भक्तों को बिन मांगे ही सब कुछ दे देते हैं। वे मुख्यमंत्री बनने के बाद भी परिक्रमा करने जाते हैं। कथा व्यास ने भक्ति के मार्ग को कठिन बताते हुए कहा कि यह अत्यंत कठिन है तथा उस पर चलने वाले को भक्तिमति मीरा की जैसे दुनिया के तानों को झेलना पड़ता है। भगवान भी उसे सुख और दुख देकर परीक्षा लेते हैं। सुख में इतराए नहीं और दुख में घबराए नहीं तो भगवान उसे अपना लेते हैं।
कमल नयन महाराज ने भागवत कथा को मंगल करणी तथा अमंगल हरणी बताते हुए कहा कि इसको सुनने के लिए पृथु जैसे भक्त इसके लिए हजार कान मांगते हैं।
आज की कथा में गोवर्धन पूजा,महारास,कंस चाणूर मर्दन तथा रुक्मिणी संग विवाह की सजीव झांकी के साथ सभी प्रसंग अत्यंत उत्साह और उल्लास के साथ रसपान कराया। आज कथा में बड़ी संख्या में नर – नारियों ने कथा का श्रवण किया।

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