सुगंध दशमी पर धूप की सुगंध से महक उठे जिनालय , दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की पूजा….
पर्वराज दसलक्षण महापर्व के अति पावन अवसर पर जैन धर्मावलंबियों द्वारा छठे दिन धर्म के रूप में मनाया उत्तम संयम
पर्वराज दसलक्षण महापर्व के अति पावन अवसर पर जैन धर्मावलंबियों द्वारा छठे दिन उत्तम संयम धर्म के रूप में मनाया गया।समाज के विवेक पाटोदी ने बताया कि इसी दिन भाद्रपद शुक्ल दशमी तिथि पर दिगंबर जैन धर्मावलंबियों द्वारा सुगंध दशमी (धूप दशमी) का पर्व मनाते हैं। इस दिन सभी जैन जिनालयों में वेदी में विराजित 24 तीर्थंकरों के सम्मुख , शास्त्रों व जिनवाणी के सम्मुख धूप अग्नि पर धूप खेवन की जाती है , जो कि जैन धर्म में बहुत महत्व रखता है। इस दिन धूप खेवन यानि जिनेंद्र प्रभु के समक्ष धूप अर्पित करके यह पर्व मनाया जाता है। शहर के बावड़ी गेट स्थित बड़ा जैन मंदिर में धूप दशमी पर विशेष धार्मिक आयोजन संपन्न हुए । दीवान जी की नसियां मंदिर जी में भोपाल से पधारी ब्रह्मचारिणी सविता दीदी व ज्योति दीदी के सानिध्य में उत्तम संयम धर्म की व धूप दशमी की पूजा संपन्न हुई।
ब्रह्मचारिणी ज्योति दीदी ने बताया कि मन और इन्द्रियो को नियंत्रित करना, विषयों के प्रति आशक्ति को हटाना ही संयम है, जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए संयम बहुत आवश्यक है।शहर के देवीपुरा जैन मंदिर कमेटी के मंत्री पंकज दुधवा व सदस्य नरेश कालिका ने बताया कि उत्तम संयम धर्म के अवसर पर मंदिर में समस्त मांगलिक क्रियाएं करने का सौभाग्य केशरीमल पदमचंद अरुण कुमार पिराका परिवार को प्राप्त हुआ। नया मंदिर जी से पंडित जयंत शास्त्री ने बताया कि सम्यक प्रकार से नियंत्रण करना संयम है। संयम जब आत्मा के आश्रय से होने वाले सम्यग्दर्शन के साथ होता है, तब ‘उत्तम संयम धर्म’ नाम पाता है। साथ ही पंचेन्द्रिय तथा मन के विषयों में आसक्ति को घटाना तथा इसके कारण पंचेन्द्रिय जीवों की रक्षा होना, वह व्यवहार से संयम कहलाता है।
यही बात पंडित द्यानतराय जी श्री दसलक्षण पूजन में कहा हैं :
काय-छहों प्रतिपाल, पंचेन्द्री-मन वश करो।
संयम-रतन संभाल, विषय-चोर बहु फिरत हैं।।
सुगंध दशमी के विशेष अवसर पर शहर के बावड़ी गेट स्थित बड़ा जैन मंदिर, बजाज रोड़ स्थित नया मंदिर , जाट बाजार स्थित दीवान जी की नसियां मंदिर सहित समस्त 11 मंदिरों में प्रातः काल से सांयकाल जैन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती हैं।
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