पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त बैजनाथ महाराज का सम्मान समारोह
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय ने ‘जीवन साधना गौरव पुरस्कार’ से नवाजा, समाजसेवा और वैदिक शिक्षा में योगदान के लिए सराहा गया।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, किशनगढ़ द्वारा प्रतिष्ठित संत एवं समाजसेवी पद्म बैजनाथ महाराज के सम्मान में एक विशेष समारोह का आयोजन रविवार, 11 मई 2025 को प्रातः 11.30 बजे किया जा रहा है। यह समारोह लक्ष्मणगढ़, सीकर स्थित श्रद्धानाथ महाराज के आश्रम में आयोजित होगा।
समारोह में विश्वविद्यालय की नीति एवं स्थापित परंपरा के अनुसार बैजनाथ महाराज को जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव के साथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहेंगे।
संत बैजनाथ महाराज श्रद्धानाथ महाराज के आश्रम के पीठाधीश्वर के रूप में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित हैं। धर्म के क्षेत्र में बैजनाथजी महाराज ने कई सराहनीय कार्य किए हैं। उन्होंने गोरक्ष मंदिर, श्रद्धा स्मृति मंदिर, श्रद्धा समाधि मंदिर, साधना कक्ष, पुस्तकालय (प्रज्ञान मंदिर) आदि धार्मिक भवनों का निर्माण कराया है, जिससे कई लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
उन्होंने वैदिक शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से श्रद्धा संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की, जिसके माध्यम से हजारों बच्चों को योग और वैदिक शिक्षा प्रदान की जा रही है। योग शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से उन्होंने श्रद्धा योग एवं शिक्षण संस्थान की स्थापना की, जहाँ आज भी सैकड़ों बच्चों को योग के माध्यम से शिक्षित किया जा रहा है। बैजनाथ महाराज समाज के गरीब एवं असहाय लोगों की सेवा में सदैव अग्रणी रहते हैं।
इस गौरवपूर्ण उपलब्धि के लिए वर्ष 2025 में बैजनाथ महाराज को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो पूरे क्षेत्र के लिए अत्यंत गर्व का विषय है।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने कहा कि “ बैजनाथ महाराज का जीवन हम सभी के लिए एक महान प्रेरणा है। उनका समर्पण, सेवाभाव और शिक्षा के क्षेत्र में किये गए योगदान को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। । वैदिक शिक्षा, योग, और समाज सेवा के माध्यम से उन्होंने जो मिसाल कायम की है, वह पूरे देश के लिए अनुकरणीय है। विश्वविद्यालय ऐसे महान व्यक्तित्व के कार्यों से सदैव प्रेरणा लेता रहेगा और उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए शिक्षा और सेवा के नए प्रतिमान स्थापित करने का प्रयास करता रहेगा। ऐसे विभूतियों का सम्मान वास्तव में समाज और भावी पीढ़ियों के लिए एक सशक्त संदेश है।”
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