बैजनाथ महाराज का जीवन संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा है: प्रो आनंद भालेराव
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय ने पद्मश्री संत बैजनाथ महाराज को ‘जीवन साधना गौरव पुरस्कार’ से किया सम्मानित
सीकर 11 मई। राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, किशनगढ़ द्वारा प्रतिष्ठित संत एवं समाजसेवी पद्मश्री बैजनाथ महाराज के सम्मान में आयोजित विशेष समारोह रविवार को श्रद्धानाथ महाराज आश्रम, लक्ष्मणगढ़ में श्रद्धा, भक्ति और गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने विश्वविद्यालय की ‘नीति एवं स्थापित परंपरा’ के अनुसार पद्मश्री बैजनाथ महाराज को ‘जीवन साधना गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया। उन्हें सम्मान स्वरूप शॉल, स्मृति चिन्ह, भगवान श्री गणेश की प्रतिमा 50 हजार रुपये का चेक, तथा विशेष सम्मान-पत्र भेंट किया गया।
बैजनाथ महाराज, श्रद्धानाथ महाराज आश्रम के पीठाधीश्वर के रूप में सनातन धर्म, वैदिक ज्ञान एवं योग के प्रचार-प्रसार में विगत कई दशकों से संलग्न हैं। आपने श्रद्धा संस्कृत विद्यापीठ एवं श्रद्धा योग शिक्षण संस्थान की स्थापना कर हज़ारों विद्यार्थियों को शास्त्र, योग एवं भारतीय जीवन मूल्यों से जोड़ा है। इसके साथ ही आप द्वारा स्थापित गोरक्ष मंदिर, श्रद्धा स्मृति मंदिर, साधना कक्ष, प्रज्ञान मंदिर (पुस्तकालय) जैसे अनेक धार्मिक केंद्र समाज में आध्यात्मिक जागरण का कार्य कर रहे हैं।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने इस अवसर पर कहा कि बैजनाथ महाराज का जीवन संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा है । उनका समर्पण, सेवाभाव और शिक्षा के क्षेत्र में किया गया योगदान शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। वैदिक शिक्षा, योग, और समाज सेवा के माध्यम से उन्होंने जो मिसाल कायम की है, वह पूरे देश के लिए अनुकरणीय है।
प्रो भालेराव ने बताया कि “जिन महापुरुषों ने अपने जीवन को तुच्छ समझते हुए सम्पूर्ण जीवन समाज की सेवा में समर्पित कर दिया, समाज ऐसे ही व्यक्तित्वों को सदैव स्मरण रखता है। ऐसे महान व्यक्तित्वों का सम्मान करना प्रत्येक संस्था एवं नागरिक के लिए गर्व की बात होती है। उन्होंने कहा कि नाथ संप्रदाय की परंपरा अत्यंत प्राचीन है, जो केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्र निर्माण और धर्म की रक्षा के लिए जिन महान विभूतियों ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण समर्पित किया, ऐसे नाथ संप्रदाय को हम नमन करते है।
भारत के इतिहास पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और उन प्राचीन युगों में अनेक विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई थी, जिनसे ऐसे संत एवं योगी उत्पन्न हुए जिन्होंने राष्ट्र के लिए त्यागमय जीवन जिया। आज जब विश्वविद्यालय प्रगति की ओर अग्रसर होता है, तब उसका यह नैतिक दायित्व बनता है कि वह ऐसे महान गुरुओं का सम्मान करे, जिससे समाज के लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। हम सभी नाथ संप्रदाय के प्रति कृतज्ञ हैं और उनके योगदान के लिए स्वयं को ऋणी अनुभव करते हैं।”
प्रो भालेराव ने आगे बताया कि विश्वविद्यालय की परंपरा के अनुसार, जीवन साधन गौरव पुरस्कार प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में उन विभूतियों को प्रदान किया जाता है, जिन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान प्राप्त हो चुका है और जिन्होंने समाज, शिक्षा, और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी परंपरा की कड़ी में यह सम्मान विश्वविद्यालय द्वारा संत बैजनाथ महाराज को समाज सेवा, राष्ट्र सेवा और लाखों लोगों के जीवन में जो नया मार्गदर्शन दिया है उसके लिए प्रदान किया गया। उन्होंने कहा कि हम बहुत सम्मानित महसूस कर रहे है कि महाराजजी ने हमारा ये सम्मान स्वीकार किया। विश्वविद्यालय उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए शिक्षा और सेवा के नए प्रतिमान स्थापित करता रहेगा। ऐसे विभूतियों का सम्मान वास्तव में समाज और भावी पीढ़ियों के लिए एक सशक्त संदेश है।”
इससे पूर्व विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक प्रो. डी. सी. शर्मा ने समारोह को संबोधित करते हुए बताया कि जीवन साधना गौरव पुरस्कार’ की शुरुआत विश्वविद्यालय द्वारा उन विभूतियों को सम्मानित करने के लिए की गई है, जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन को समाज, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में साधना के रूप में समर्पित किया है। यह न केवल एक सम्मान है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।” विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रदीप अग्रवाल ने मंच से सम्मान-पत्र का वाचन किया, जिसमें बैजनाथ महाराज के जीवन, उनके सामाजिक एवं आध्यात्मिक कार्यों तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनके अप्रतिम योगदान का सारगर्भित वर्णन किया गया।
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