अदम्य साहस और वीरता की जीवंत तस्वीर थे वीर दुर्गादास राठौड़ – ईश्वर सिंह

अदम्य साहस और वीरता की जीवंत तस्वीर थे वीर दुर्गादास राठौड़ - ईश्वर सिंह

राजपूत महासभा सीकर के कार्यालय में, महासभा के अध्यक्ष दयाल सिंह शेखावत की अध्यक्षता में वीर दुर्गादास राठौर की जयंती मनाई गई।
मुख्य वक्ता इतिहासकार महावीर पुरोहित ने वीर दुर्गादास के जीवन चरित्र के बारे में विस्तार से अवगत कराया, पुरोहित ने कहा कि वीर दुर्गादास राठौड़ ने मारवाड़ की अपनी धरती पर कभी भी मुगल आक्रांताओं को शासन करने का अवसर नहीं दिया वह युद्ध करते थे और तत्कालीन समय में जब जोधपुर महाराजा का काबुल में देहांत हो गया और उनके परिजन महारानियां राजकुमार राजकुमारियां आ रहे थे , तो तत्कालीन दिल्ली के शासक औरंगजेब ने उन्हें रास्ते में रोकना चाहा, लेकिन किसी भी तरह से छिपकर दुर्गादास  ने कुंवर अजीत सिंह को वहां से निकाला और अपने संरक्षण में रखकर उनको शिक्षा दीक्षा और युद्ध कौशल भी सिखाया और समय आने पर जोधपुर की राजनीति पर भी आसींद किया।
जयंती कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शेखावाटी राजपूत महासभा के अध्यक्ष पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ईश्वर सिंह राठौड़ ने वीर दुर्गादास राठौड़  के बारे में विस्तार से बताया और कहा इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ने अपनी पुस्तक में यह लिखा है की यदि राजपूत के समस्त गुण आपको एक व्यक्ति में देखते हो तो वीर दुर्गादास राठौड़ का चरित्र देखिए , उनमें सभी क्षत्रिय गुण थे और यह गुण उन्हें उनके माता ने बचपन में ही सिखाया था और इतिहास में यह भी लिखा है की कुछ माताएं ऐसी हुई है जिन्होंने अपने बच्चों को गर्भ में ही युद्ध कौशल एवं वीरता बुद्धिमत्ता का पोषण किया जैसे माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज का सुभद्रा जी ने अभिमन्यु का गुड़ा की तंवर जी ने शार्दुल सिंह का एवं भटियानी नेताओं ने दुर्गादास जी का गर्भ में ही पोषण किया था।
इस अवसर पर विनोद दाधीच, ओम प्रकाश कुमावत, नंद सिंह नरूका, गजेंद्र सिंह लोढ़ा, मोहन सिंह, नारायण सिंह सबलपुरा मौजूद रहे.

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