9 साल में तीन सरकारें बदली, पर 10 हजार बेरोजगारों को नहीं मिली नौकरी
राजस्थान में 9 साल बाद भी पंचायतीराज एलडीसी भर्ती पूरी नहीं हो पाई है.2013 से इतंजार करते करते 2022 आ गया, लेकिन 10 नियुक्तियों पर आज तक ब्रेक लगा हुआ है. हालांकि, बीच-बीच में कई बार नियुक्तियों के लिए रास्ते भी खुले, पर हर बार अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर पानी फिरा.
राजस्थान में 9 साल बाद भी पंचायतीराज एलडीसी भर्ती पूरी नहीं हो पाई है.2013 से इतंजार करते करते 2022 आ गया, लेकिन 10 नियुक्तियों पर आज तक ब्रेक लगा हुआ है. हालांकि, बीच-बीच में कई बार नियुक्तियों के लिए रास्ते भी खुले, पर हर बार अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर पानी फिरा. ऐसे में अभ्यर्थी अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं. अभ्यर्थी जल्द से जल्द नौकरी देने की मांग कर रहे हैं.
2013 से 2022 के बीच बीजेपी और कांग्रेस की तीन सरकारे आ गई, लेकिन राजस्थान के पंचायतीराज विभाग में एलडीसी भर्ती में 10 हजार बेरोजगारों को अब तक नौकरी नहीं मिली. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक पूरा मामला पहुंच चुका है. कोर्ट से नौकरी के लिए अभ्यर्थियों को राहत भी मिली. सरकार ने दो बार आचार नियुक्तियों के लिए कैलेंडर भी जारी किया,लेकिन उस वक्त आचार सहिंता आडे आई .पर अब तो ना आचार सहिंता का कोई बहाना है और ना कोई कोर्ट कचहरी का मामला, लेकिन बावजूद सरकार ने एलडीसी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां नहीं कर रही है. हालांकि, बेरोजगारों को सरकार की अगली केबिनेट मीटिंग से आस है.बेरोजगार एकीकृत महासंघ अध्यक्ष उपेन यादव ने सरकार से मांग की है कि सरकार अगली मीटिंग में बेरोजगारों को राहत दे.
2013 में कांग्रेस सरकार ने 33 जिला परिषदों में एलडीसी के 19 हजार 275 पदों के भर्ती निकाली थी, इनमें अभ्यर्थियों और संविदाकर्मियों को सीनियर सैकंडरी परीक्षा में प्राप्तांकों का 70 प्रतिशत वेटेज दिए जाने और अनुभव के आधार पर प्रतिवर्ष दस बोनस अंक अधिकतम 30 अंकों का वेटेज देने की पात्रता का प्रावधान किया गया था.इस भर्ती में से चयन के बाद वर्ष 2013 में ही 9 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को नियुक्तियां मिल गई,जबकि 10 हजार अभ्यर्थी आत तक नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे.
कोर्ट ने 15 जुलाई 2013 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी. बैंच ने 25 सितम्बर 2013 के अपने निर्णय में सेवा अनुभव के बोनस अंकों की अधिकतम सीमा 15 अंक निर्धारित कर दी. बैंच के इस निर्णय पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवम्बर 2016 को अपने निर्णय में राज्य सरकार द्वारा सेवा अनुभव के अधिकतम 30 बोनस अंकों को सही माना और सरकार की अपील स्वीकार कर ली, लेकिन अब तो सरकार के पास कोई बहाना नहीं है,इसके बावजूद भी बेरोजगारों को नौकरियां नहीं मिल रही है.हालांकि बेरोजगार उम्मीद लगाए बैठे है कि जल्द सरकार नियुक्तियों को लेकर बड़ा फैसला लेगी.
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