वर्तमान में हमारे आसपास मौजूद ध्वनि का स्तर इतिहास से कई गुना ज्यादा है. नेशनल पार्क सर्विस की नेचुरल साउंड और नाइट स्काई डिवीजन की रिपोर्ट के मुताबिक, ध्वनि प्रदूषण हर तीसरे दशक में दो से तीन गुना बढ़ रहा है. ध्वनि प्रदुर्शन से स्ट्रेक, दिल की बीमारी का खतरा अधिक बढ़ता है.
हम राेजमर्रा के परिवहन, टीवी और आसपास मौजूद लोगों की बातों से घिर गए हैं. ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल की प्रोफेसर इम्के कस्ट्रे ने अलग-अलग ध्वनियों के असर पर अध्ययन किया. इसमें पता चला कि शांत माहौल में हमारी सुनने और सोचने की क्षमता भी बेहतर होती है. मौन को सुनने से सकारात्मक तनाव होता है. सामान्य तनाव से उलट सकारात्मक तनाव मानसिक स्वास्थ्य को और बेहतर बनाता है. थोड़ा भी समय मिले तो एकांत को सुनें.
वैज्ञानिकों का मानना है कि शोर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है. शोर के लगातार संपर्क में आने से अकेलापन भी बढ़ता है. इससे हृदय रोग, स्ट्रोक और मानसिक तनाव को भी बढ़ावा मिलता है. प्रो. मथायस बैसनर के अनुसार तेज ध्वनि तनाव का कारण बन जाती है. रातभर तेज ध्वनि वाले वातावरण में रहने से शरीर में तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन ज्यादा रिलीज होते हैं. ये रक्त वाहिकाओं की संरचना में परिवर्तन करते हैं.
मैनहटन के प्रो. रिचर्ड सोलवेस का कहना है कि शोर से पैदा होने वाले तनाव से बचने के लिए मौन योग और एकांत में ध्यान लगाने से फायदा मिलता है. मशहूर हस्ती फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने भी अनावश्यक तेज ध्वनि को मरीजों के लिए सबसे खराब बताया था.
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