बच्चों और युवाओं को फिल्मों में हीरो से ज्यादा पसंद विलेन, मानते है कि परिस्थितियां करती है बुरा बनने को मजबूर

फिल्मी दुनिया में हीरो नहीं विलेन को बच्चे और युवा पसंद कर रहे है. इनका मानना है कि वे हमेशा से बुरे नहीं होते है, खुद भी वैसा बनना चाहते है.

बच्चों और युवाओं को को फिल्मों में हीरो से ज्यादा विलेन पसंद आते हैं. साथ ही उन्हें फॉलो करने की कोशिश भी करते हैं. एक रिसर्च में सामने आया कि फिल्मों में विलेन कितने ही घमंडी, पावर के भूखे और निर्दयी क्यों न हों, लेकिन बच्चों का उनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर होता है. 4 से 12 साल की उम्र के 434 और 277 वयस्कों पर सर्वे हुआ. इसमें सामने आया कि उन्हें विलेन इसलिए पसंद आते हैं क्योंकि वे हमेशा से बुरे नहीं होते. परिस्थितियों ने उन्हें बुरा बनने पर मजबूर किया है. लिहाजा, वे अपने लोगों या पालतू जानवरों के प्रति सॉफ्ट रहते हैं.

रिसर्च में सामने आया कि महिलाओं की बजाय पुरुषों का विलेन की तरफ अधिक झुकाव होता है. इनमें भी खासतौर पर युवा लड़के विलेन की जिंदगी, रहन-सहन और शान-ओ-शौकत से अधिक प्रभावित होते हैं. वैसा बनने की कोशिश करते हैं. फिल्में भी इस ट्रेंड को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं.

केजीएफ और पुष्पा जैसी फिल्मों में मशहूर एक्टर्स को विलेन की भूमिका में दिखाया जाता है. युवा उनके धुंआधार एक्शन और शाही जिंदगी से प्रभावित होकर उन्हें पसंद करने लगते हैं. ‘पाताल लोक’ सीरीज में ‘हथौड़ा त्यागी’ का किरदार कुत्तों को पसंद करता है, इस कारण दर्शक उससे जुड़ाव महसूस करने लगते हैं. विलेन अपने एक अलग साम्राज्य में रहता है, वह एंटी-सोशल होता है, इस कारण भी बच्चे उसे अधिक पसंद करते हैं. 

अन्य रिसर्च में सामने आया कि विलेन को पसंद करने वाले लोगों में तीन तरह के मनोरोग होते हैं, वे खुद भी आगे चलकर बुरे बन सकते हैं. जैसे –

  • इसकी प्रबल संभावना हो सकती है कि विलेन को पसंद करने वाले लोग आत्म मुग्ध होते हैं, क्योंकि विलेन भी अपने से ऊपर किसी को नहीं मानता.

  • ऐसे लोग मेकियावेलियनिस्म यानी कपटी और अति महत्वकांक्षी हो सकते हैं. वे दूसरों को मुर्ख बनाकर आगे बढ़ने की चाह रखते हैं.

  • उनमें सेल्फ कंट्रोल नहीं होता, वे कभी भी गुस्सा हो सकते हैं. रिसर्च बताती है है कि ये एक तरह का डार्क ट्रेड है, जो डार्क पर्सनालिटी को दर्शाता है. 

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