अजीतगढ रामलीला में गुरु की महिमा को दिखाया….

जानकी की इच्छा पूरी करने के लिए श्रीराम स्वर्ण मृग के बहकावे में उलझे, लंकापति रावण सीता का कर ले गया हरण

त्रेता युग के चौथे चरण में भगवान नारायण ने अयोध्या में राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के यहां जन्म लेकर श्रीराम ने विभिन्न लीलाओं को किया। प्रति वर्ष दशहरे पर्व पर जगह जगह रंगमंच से रामलीलाएं होती हैं।इसी क्रम में तीस सितंबर से अजीतगढ़ के मुख्य चौपड़ में नवयुवक रामलीला नाट्य कला मंडल द्वारा श्रवण लाल पारीक और कार्यकारी अध्यक्ष पंडित जुगल किशोर जोशी की अध्यक्षता तथा दिनेश गोविंद शर्मा के निर्देशन में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की दिव्य और भव्य लीला का आयोजन हो रहा है।मंगलवार को गुरु अगस्त्य के परम शिष्य सुतीक्ष्ण ने कहा कि गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने,गोविंद दियो बताय । गुरु को भगवान से भी बड़ा कहा,गुरु की महिमा का प्रसंग दिखाया। लंकापति रावण ने सीता का हरण कर अशोक वाटिका में रखा। श्रीराम सीता की इच्छा को रखने के लिए स्वर्ण मृग के बहकावे आ गए। रामलीला में नवरतन शर्मा ने राम,वैभव जोशी ने लक्ष्मण,अजय स्वामी ने सीता, मोनू सोनी ने अगस्त्य, दिनेश गोविंद शर्मा ने सुतीक्ष्ण, हेमू पारीक ने रावण, जुगल जोशी ने विदूषक, भरत सिंह ने सुपनखा, भोलूराम बड़सिवाल ने जयंता का अभिनय निभाया। भामाशाह वार्ड पार्षद मनीष मीना का रामलीला मंच पर मंडल पदाधिकारियों ने राम नाम दुपट्टा ओढ़ा कर सम्मान किया।

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