कस्बे और सहरिया बाहुल्य क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण से तालाबों और नदियों की जमीनें हो रही हैं खत्म

तालाबों में पानी की कमी और भू-जल स्तर पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव, प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं

कस्बे सहित सहरिया बाहुल्य क्षेत्र में सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। भू माफिया अब न केवल सरकारी भूमि पर, बल्कि नदी और तालाबों की भूमि पर भी कब्जा कर रहे हैं। जहां पहले तालाबों में पानी जमा होता था, अब वहां भू-माफियाओं के बाड़े और खेत दिखाई दे रहे हैं। इसके बावजूद इन भू-माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पहले हर गांव में पोखर, नदी और तालाब हुआ करते थे, जिनका इस्तेमाल ग्रामीण पानी संग्रहण के लिए करते थे। इन तालाबों में सालभर के लिए पानी इकट्ठा किया जाता था, जिससे मवेशियों और अन्य जल उपयोग की जरूरतें पूरी होती थीं। तालाबों के भरे रहने से गांव का जलस्तर भी स्थिर रहता था। लेकिन अब पानी की किल्लत और बढ़ते अतिक्रमण के कारण ये तालाब सूख रहे हैं और इनकी जमीनों पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है, जो अब खेती करके मुनाफा कमा रहे हैं। इससे आने वाली गर्मी में पानी की भारी किल्लत हो सकती है और भू-जल स्तर भी प्रभावित हो सकता है।

अतिक्रमण के चलते तालाब सिकुड़ते जा रहे हैं और अब मवेशियों के लिए पानी पीने तक की जगह नहीं बची है। उदाहरण के तौर पर, ग्राम पंचायत गणेशपुरा के मुहाल गांव का तालाब कई सालों से सूखा पड़ा है और उसमें पानी का भराव नहीं हो पा रहा है। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीणों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

तालाबों में अतिक्रमण कर भू माफियाओं ने पत्थर के कोट बना लिए हैं और रास्तों को बंद कर दिया है, जिससे मवेशियों को भी पानी पीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पर्यावरण प्रेमी चंद्रप्रकाश शर्मा का कहना है कि जिम्मेदार विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

इस मामले में तहसीलदार राहुल कुमार ने बताया कि मुहाल गांव के तालाब और नदी की स्थिति की जानकारी गिरदावर से ली जाएगी। जिन्होंने तालाबों और नदियों की भूमि पर कब्जा किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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