‘मन निर्लोभी-तन निरोगी’ उत्तम शौच धर्म की साधना से दूर होती है लोभ रूपी बीमारी….

आज उत्तम शौच धर्म की आराधना कर, की गई पूजन

आज उत्तम शौच धर्म की आराधना कर पूजन की गई व्यक्ति इसे जल्दी नहीं छोड़ना चाहता। जैसे ज्यादा मिठास से शरीर में डायबिटीज रोग उत्पन्न होता है और फिर हमेशा के लिए मीठा खाने का त्याग करना पड़ता है वैसे ही लोभ रूपी मिठास को यदि मन की जड़ से न हटाया गया तो हमारा मनुष्य जीवन निरर्थक है। हम इस संसार में निरंतर भटकते हो रहेंगे। लोभ कषाय सबसे मजबूत कषाय है यही कारण है कि वह सबसे अंत तक रहती है। ‘भगवती आराधना’ में लिखा है कि लोभ करने पर भी पुण्य से रहित मनुष्य को कुछ नहीं मिलता और पुण्यवान को बिना लोभ के भी सब कुछ सहज मिल जाता है। अतः मन की शुद्धि शौच धर्म के माध्यम से ही होती है।
प्रियंक जैन ने बताया कि पंडित जयंत कुमार शास्त्री द्वारा शास्त्र वाचन के दौरान उत्तम शौच धर्म पर कहा कि अनादि काल से क्रोध, मान, माया, लोभ आदि बुराइयों के आवरण हमारी आत्मा पर बोझ बने हुए हैं। इन कषायों, बुराइयों को दूर करने में न जाने कितने जन्मों तक हमें क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच धर्म के इन लक्षणों की साधना करनी होगी तब जाकर हम इन सभी बुराइयों से मुक्त हो पाएंगे। कहते हैं ‘करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।’। अतः दशलक्षण महापर्व में इन कषायों का अभाव करके उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच आदि गुणों को प्रगट करना होगा तभी सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिञ्चन्य, ब्रम्हचर्य आदि की साधना करके हम अपना जीवन सार्थक कर पाएंगे। आज उत्तम शौच धर्म की आराधना का दिवस है। ‘शुचेर्भावः शौचम’ परिणामों की पवित्रता को शौच कहते हैं। यह परिणाम की पवित्रता अलोभ से आती है। क्षमा से क्रोध पर, मार्दव से मान पर, आर्जव से माया पर तथा शौच धर्म से लोभ पर विजय प्राप्त की जाती है।अध्यक्ष गोपाल काला मंत्री पवन छाबड़ा ने बताया कि कि बजाज रोड स्थित श्री दिगंबर जैन नया मंदिर में कलकत्ता निवासी धोद प्रवासी परिवार को प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा धर्मचंद विमल कुमार विजय कुमार सुरेश कुमार अजीत कुमार नरेश कुमार वीरेंद्र कुमार पाटनी को मिला। कोषाध्यक्ष विनोद संगही मुकेश लुहाड़िया ने बताया कि श्रावक श्राविको द्वारा भगवान पुष्पदंत के मोक्ष कल्याण के अवसर पर अखंड भक्तामर पाठ का आयोजन किया गया इस दौरान धर्म प्रेमी बंधु उपस्थित थे।

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