राइट टू हेल्थ बिल को लेकर चिकित्सकों की बैठक: सीकर में 16 मार्च को प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लीनिक बंद का किया आह्वान
चिकित्सकों ने कहा इस बार चिकित्सक किसी भी प्रकार से पीछे हटने के मूड में नहीं है और यदि फिर भी सरकार नहीं मानती है तो अनिश्चित काल के लिए चिकित्सा कार्य बंद करने की योजना भी बन रही है.
राइट टू हेल्थ बिल पर सरकार और चिकित्सकों के बीच का गतिरोध वापिस उफान पर है सरकार ने अब तक चिकित्सक संगठनों द्वारा सुझाए गए सुझावों को या तो नकार दिया है या सुधारों में लीपापोती करने की चेष्टा की है. चिकित्सकों का कहना है राइट टू हेल्थ बिल के नाम पर सरकार जनता को गुमराह कर रही है. जब पहले से ही चिरंजीवी आरजीएचएस आदि सरकारी योजनाओं द्वारा राज्य की अधिकांश जनता का मुफ्त इलाज किया जा रहा है और प्राइवेट चिकित्सालय अपना पूरा योगदान दे रहे हैं ऐसे में बिना वजह इंस्पेक्टर राज लाने के लिए सरकार द्वारा राइट टू हेल्थ बिल के नाम का शिकंजा चिकित्सकों की गर्दन पर कसना ना केवल गैर जरूरी है बल्कि राज्य की चिकित्सा व्यवस्था मैं एक बहुत बड़ा संकट खड़ा करने वाला है. चिकित्सक और मरीजों के बीच के खराब होते रिश्तो को इस तरह के कानून तार-तार कर देंगे.
राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सीकर के तमाम चिकित्सकों की एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें इस कानून के विरोध में आर या पार लड़ाई करने की घोषणा की. इसके तहत 16 मार्च को सीकर के सभी चिकित्सक अपने प्राइवेट नर्सिंग होम और क्लीनिक बंद रखेंगे. चिकित्सकों ने कहा इस बार चिकित्सक किसी भी प्रकार से पीछे हटने के मूड में नहीं है और यदि फिर भी सरकार नहीं मानती है तो अनिश्चित काल के लिए चिकित्सा कार्य बंद करने की योजना भी बन रही है. कहा राज्य में किसी भी व्यक्ति या संस्था के द्वारा चिकित्सा व्यवसाय करना लगभग असंभव हो जाएगा इस के संदर्भ में बैठक जिला क्लब में आयोजित की गई.
बैठक में आईएमए के जिला अध्यक्ष रामदेव चौधरी, डॉ रविंद्र धाभाई, तनसुख चौधरी, डॉक्टर महेंद्र बुडानिया, डॉक्टर सतवीर, डॉ इंद्राज सिंह, डॉ अजय जैन, डॉ अरुणा अग्रवाल, डॉक्टर अनिल चौधरी, डॉ प्रदीप मील आदि चिकित्सकों ने भाग लिया और एकमत से सीकर के संपूर्ण चिकित्सकों की तरफ से हड़ताल को समर्थन दिया, सरकारी चिकत्सको ने भी इसके समर्थन में निर्णय लिया है को वो अपने निजी आवास पर मरीज नहीं देखेंगे.
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