खींवसर उपचुनाव: भाजपा की जीत पर ज्योति मिर्धा का तीखा वार, बेनीवाल की राजनीति पर सवाल…

खींवसर में भाजपा का परचम, रालोपा का गढ़ ढहा

राजस्थान के खींवसर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रेवंतराम डांगा की जीत के साथ ही राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। नागौर की पूर्व सांसद और भाजपा नेत्री डॉ. ज्योति मिर्धा ने इस जीत को रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल की हार के रूप में करारा जवाब बताया।

“रालोपा का गढ़ ढहा दिया”

चुनाव परिणाम के बाद, डॉ. मिर्धा ने प्रतीकात्मक रूप से पानी की बोतल उलटते हुए रालोपा के प्रतीक को खाली कर, इस संदेश को मजबूती से सामने रखा कि खींवसर में रालोपा का दबदबा खत्म हो गया है।

“हनुमान बेनीवाल का अहंकार जिम्मेदार”

डॉ. मिर्धा ने आरोप लगाया कि हनुमान बेनीवाल केवल गठबंधन की राजनीति पर निर्भर हैं और उनका तीसरा मोर्चा केवल नाम का रह गया है। उन्होंने चुनौती दी कि बेनीवाल बिना गठबंधन चुनाव लड़ें तो वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

भाजपा की रणनीति और रालोपा का नुकसान

मिर्धा ने कहा कि खींवसर की जीत भाजपा के सामूहिक प्रयास का नतीजा है। उन्होंने दावा किया कि हनुमान बेनीवाल के अहंकार और अवसरवादी राजनीति ने रालोपा की स्थिति को कमजोर किया है।

“रालोपा का अस्तित्व संकट में”

हनुमान बेनीवाल द्वारा खींवसर को रालोपा की राजधानी कहे जाने पर डॉ. मिर्धा ने तंज कसते हुए कहा, “अगर खींवसर उनकी राजधानी थी, तो अब वह राजधानी खत्म हो चुकी है। रालोपा के लिए अस्तित्व बचाने की लड़ाई शुरू हो गई है।”

भाजपा और बेनीवाल के बीच संभावित समीकरण

जब उनसे भाजपा और बेनीवाल के बीच संभावित समीकरण के बारे में पूछा गया, तो मिर्धा ने स्पष्ट कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है, और बेनीवाल की आलोचनाओं के बाद उनके लिए पार्टी के दरवाजे बंद हैं।

उपचुनाव की सियासी लड़ाई

यह चुनाव केवल भाजपा और रालोपा के बीच नहीं था, बल्कि इसमें हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा के बीच राजनीतिक टकराव भी प्रमुख रहा। भाजपा की जीत ने यह साफ कर दिया कि खींवसर में रालोपा का प्रभाव कमजोर हुआ है।

 

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