शांतिनाथ मंडल विधान का आयोजन, दान देने वाला व्यक्ति श्रेष्ठ कर्तव्य होता है -आर्यिका सुस्वर मति माता जी
केसरिया साड़ी में महिलाएं एवं श्वेत वस्त्रों में पुरुषो ने विधान में भाग लिया. इस दौरान जैन धर्म के 16 वे तीर्थंकर की पूजन की गई. जयघोष के साथ भगवान की अनुमोदना की गई.
सीकर के बाजार रोड स्थित नया जैन मंदिर में आर्यिका सुदृढ मति माता जी के ससंघ सानिध्य में मूलनायक शांतिनाथ मंडल विधान का आयोजन किया गया. केसरिया साड़ी में महिलाएं एवं श्वेत वस्त्रों में पुरुषो ने विधान में भाग लिया. इस दौरान जैन धर्म के 16 वे तीर्थंकर की पूजन की गई. जयघोष के साथ भगवान की अनुमोदना की गई.आर्यिका सुस्वर मति माता जी ने बताया कि मनुष्य को दान करना चाहिए दान देने वाला मनुष्य श्रेष्ठ कर्तव्य होता है दान को धर्म से भी ऊंचा बताया गया है क्योंकि मनुष्य के सब दिन एक से नहीं होते दान भी पुण्य से ही होता है. मनुष्य को अपना पेट भरने से पहले दूसरे के पेट भरने की चिंता होनी चाहिए. साधु के बारे में बताते हुए कहा कि संत और साधु एक ऐसे अतिथि होते हैं जिनकी आने और जाने की कोई तिथि नहीं होती साधु बसंत ऋतु की तरह आते हैं मनुष्य मन को मंदिर बनाएं तभी घर मंदिर बनेगा अर्थात मन में शांति होगी तो घर में शांति होगी.आर्यिका सुदृढ मति माता जी ने बताया कि लोभ मनुष्य को हमेशा अशांति ही देता है लोभ पाप का बाप है लोभी व्यक्ति कभी किसी का भला नहीं करता इच्छाओं को सीमित रखें और कभी किसी से उम्मीद ना रखे हैं क्योंकि उम्मीद ना पूरी होने पर मन कुंठित हो जाता है मन में शांति है तो घर में शांति है और घर में शांति नहीं है तो मनुष्य का जीवन बेकार है 24 घंटे में जितने भी समय भगवान के सामने रहे वह समय पूर्णतया वीतरागता के साथ रहना चाहिए. आज की आहार चर्या विजय कुमार छाबड़ा राजकुमार संगही के यहां हुई. विधान की मांगलिक क्रियाएं पंडित देवेंद्र जैन द्रोणागिरी वाले के द्वारा की गई. सोमवार को माता जी का प्रवचन प्रातः 8 :30 बजे होगा और गुरु भक्ति सँध्या कालीन होगी.
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