मंडी श्रमिकों को इस वर्ष 265 लाख से अधिक की आर्थिक सहायता का भुगतान …….

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए गंभीरता से किये जा रहे प्रयास

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के कल्याण की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए गंभीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसी ही एक योजना है महात्मा ज्योतिबा फुले मंडी श्रमिक कल्याण योजना। राज्य सरकार द्वारा योजना के माध्यम से कृषि मंडियों में काम करने वाले हम्माल, तुलारा एवं पल्लेदारों को बच्चे पैदा होने पर, बच्चों की शिक्षा एवं विवाह के लिए तथा चिकित्सा के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है।

कृषि विपणन विभाग निदेशक राजेश कुमार चौहान ने बताया कि माह जनवरी-2024 से जुलाई माह तक मंडी समितियों के माध्यम से 672 हम्माल, तुलारा एवं पल्लेदारों को 265 लाख 33 हजार 537 रुपये की आर्थिक सहायता का भुगतान किया गया है।
उन्होंने बताया कि योजना के माध्यम से अनुज्ञप्तिधारी महिला हम्माल एवं पल्लेदारों को प्रसूति सहायता, पुरुष को पितृत्व सहायता, महिला के विवाह और पुरुष एवं महिला हम्माल और पल्लेदारों की दो पुत्रों की सीमा तक 50 हजार रुपये प्रति विवाह सहायता दी जाती है। इसी प्रकार मेधावी छात्रों को कक्षा 10 से स्नातकोत्तर तक 2 हजार से 6 हजार तक की छात्रवृत्ति और 20 हजार रुपये तक की चिकित्सा सहायता मुहैया करवाई जाती है।

मंडियां जमा करवा रही अंशदान

राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों द्वारा हम्माल, तुलारा एवं पल्लेदारी का अंशदान जमा कराना अनिवार्य है। इसके लिए मंडी समितियां को चार श्रेणियां में विभाजित किया गया है। विशिष्ठ एवं अ श्रेणी की मंडियों द्वारा प्रति श्रमिक 1000 रुपये, व श्रेणी की मंडियों द्वारा 500 रुपये, स श्रेणी की मंडियां द्वारा 300 रुपये और द श्रेणी की मंडियों द्वारा 200 रुपए प्रति श्रमिक अंशदान जमा करवाया जाता है।

लाडली के विवाह पर 50 हजार रूपए की सहायता

योजना के तहत अधिकतम दो बेटियों के विवाह के लिए प्रति बेटी के विवाह पर 50 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। साथ ही अनुज्ञतिधारी महिला के विवाह पर भी 50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। सहायता के लिए आवेदक को विवाह के 90 दिन में आवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक है।

श्रमिकों को 20 हजार रुपये की चिकित्सा सहायता

अनुज्ञतिधारी हमाल एवं पल्लेदारों कैंसर, हार्ट अटैक, लीवर, किडनी जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने पर सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, राज्य सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए अधिकृत अस्पताल में भर्ती होने पर चिकित्सा सहायता के लिए अधिकतम 20 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है।

महिलाओं को 45 दिवस की प्रसूति सहायता और पुरुषों को 15 दिवस का पितृत्व संबल

योजना के तहत महिला हम्मालों एवं पल्लेदारों को अधिकतम दो प्रसूतियों पर 45 दिन की मजदूरी के समतुल्य राशि का भुगतान करके सहायता प्रदान की जाती है। इसी प्रकार पुरुष हम्माल को पितृत्व अवकाश के रूप में निर्धारित प्रचलित मजदूरी दर के अनुसार 15 दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाता है। इसके लिए आवेदक को 3 माह के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना होता है।

मेधावी विद्यार्थियों को कक्षा 10 से स्नातकोत्तर तक छात्रवृत्ति की सुविधा

योजना के तहत जिनके अभिभावक मंडी में अनुज्ञतिधारी हम्माल या पल्लेदार हैं, उनके प्रत्येक बेटे-बेटियों (अधिकतम दो बच्चों की सीमा तक) को छात्रवृत्ति प्रदान करके शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है। जिसमें कक्षा 10 वीं में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र को 3 हजार रूपये, छात्रा को 3 हजार 500 रूपये, 70 से 80 प्रतिशत अंक वाले छात्रों को 2 हजार रूपये तथा छात्रा को 2 हजार 500 रूपये की छात्रवृति एक मुश्त प्रदान की जाती हैं।

इसी प्रकार कक्षा 12वीं में 90 प्रतिशत से अधिक अंक वाले छात्र को 5 हजार रूपये, छात्रा को 6 हजार रूपये, 80 से 90 प्रतिशत अंक वाले छात्र को 4 हजार रूपये, छात्रा को 5 हजार रूपये, 70 से 80 प्रतिशत छात्र को 3 हजार रूपये, छात्रा को 4 हजार रूपये की छात्रवृति दी जाती है।
स्नातक में अध्यनरत विद्यार्थियों को 60 प्रतिशत से अधिक अंक आने पर छात्र को 4 हजार रूपये, छात्रा को 5 हजार रूपये, स्नातकोत्तर में 60 प्रतिशत से अधिक अंक आने पर छात्र को 5 हजार रूपये, छात्रा को 6 हजार रूपए की छात्रवृति एकमुश्त देकर आर्थिक संबल प्रदान किया जाता है।

योजना के लिए पात्रता

योजना के तहत हम्मालों एवं पल्लेदार को 18 से 60 वर्ष की आयु होने तथा राज्य का मूल निवासी होने पर सहायता दी जाती है। साथ ही उनका राजस्थान कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम 1961 के अधीन अनुज्ञप्तिधारी होना तथा राज्य की कृषि मंडियों में निर्धारित कार्य करने की आवश्यक शर्त है। इन्हें किसी अन्य स्रोत से वेतन प्राप्त नहीं होने पर ही सहायता देय है।

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